बिहार में शराबबंदी पर सियासी घमासान

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 महागठबंधन सरकार बनी तो फिर बिकेगी शराब?

पटना। दीपक कुमार तिवारी।

बिहार में शराबबंदी कानून 2016 एक बार फिर सियासी बहस का केंद्र बन गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ऐलान किया है कि अगर 2025 में महागठबंधन की सरकार बनती है तो ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर कर दिया जाएगा। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने उससे भी बड़ा दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार सत्ता में आई तो शराबबंदी पूरी तरह से खत्म कर दी जाएगी और शराब की बिक्री ठेका प्रथा के तहत फिर से शुरू होगी।

मीडिया से बातचीत में प्रतिमा दास ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह फेल हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले नीतीश सरकार ने पंचायत स्तर पर शराब की दुकानें खुलवाईं और फिर अचानक शराबबंदी लागू कर दी, जिससे माफिया हावी हो गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर अनुमंडल या प्रखंड स्तर पर शराब की दुकानें फिर से खोलने की व्यवस्था की जाएगी, जहां मद्य निषेध विभाग निगरानी करेगा।

कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि शराबबंदी से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है और इससे अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार के दौरान एक्साइज अधिकारियों पर शराब की दुकानें खुलवाने का दबाव डाला जाता था।

बिहार में शराबबंदी को लेकर पहले भी कई नेताओं ने बयान दिए हैं। जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी भी इस कानून को खत्म करने की वकालत कर चुके हैं। उनका मानना है कि शराबबंदी से अवैध शराब का कारोबार बढ़ा है और इससे गरीबों का शोषण हो रहा है।

बिहार की सियासत में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब देखना होगा कि 2025 के चुनाव में जनता इस पर क्या फैसला देती है।

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