पत्नियों के हाथों में पतियों की राजनीतिक विरासत, चलन बरकरार

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अभिजीत पांडे
पटना । चुनाव मे पत्नी ब्रगेड का चलन अब भी बरकरार है। लोकसभा चुनाव में भी दो नेताओं की पत्नियो की सीधे चुनावी राजनीति में इंट्री हो गयी है।
सीवान से राजलक्ष्मी देवी को जदयू और मुंगेर से अनीता देवी को राजद ने चुनावी मैदान में उतार दिया है। ये दोनों अपने-अपने पति की राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगी।

बिहार में इस तरह की इंट्री की एक लंबी फेहरिस्त रही है। किसी नेता ने अपनी पत्नी को सीधे चुनावी राजनीति मे उतारा, तो कई को मजबूरीवश उतारना पड़ा। पत्नियों के राजनीतिक विरासत संभालने के भी कई उदाहरण है । जीतने का गुणा-गणित लगाकर नेताओं की पत्नियों को टिकट देने की परंपरा रही है। इस कड़ी में टिकट के लिए शादी भी करनी पड़ी है। शादी के तुरंत बाद टिकट मिल जाने और जीतने का भी बिहार गवाह रहा है।

राजनीति मे घर की महिलाओं को कमान देना बिहार के लिए कोई नयी बात नही है ।राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया और उन्हें राजनीति में जगह दी, तो उस जमाने मे यह देश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया था। बिहार मे दर्जन भर महिलाएं अपने पति की जगह या उनकी सलाह से चुनाव मैदान में उतरी है। कई उदाहरण तो ऐसे भी हैं कि चुनाव लड़ने के लिए नेता रातोंरात शादियां कर लेते हैं। नयी नवेली दूल्हन मंडप से सीधा चुनावी मैदान में उतर जाती हैं।

बिहार के नेताओं में पत्नी को विरासत सौंपने का पुराना इतिहास रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा, उनकी बहू श्यामा सिंह, पूर्व केद्रीय मंत्री रहे स्व. दिग्विजय सिंह की पतनी पुतुल देवी, पूर्व सांसद अजित कुमार सिंह की पत्नी मीना सिंह, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, लेशी सिंह, बीमा भारती, रंजीता रंजन और मोकामा के विधायक रहे अनंत सिंह की पन्नी नीलम देवी अपने पति की राजनीतिक विरासत को समय समय पर संभाला है। इस लोकसभा चुनाव में भी दो नेताओं की पत्नियो की सीधे चुनावी राजनीति में इंट्री हो गयी है। सीवान से राजलक्ष्मी देवी को जदयू और मुंगेर से अनीता देवी को राजद ने चुनावी मैदान में उतार दिया है। ये दोनों अपने-अपने पति की राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगी।

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