राजनीति में परिवारवाद पर PM मोदी चिंतित: 2009 में BJP के 12% सांसद नेताओं के परिवार से थे, आज हैं 25%

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में परिवारवाद को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने हालिया चुनावों में मिले जनादेश को परिवारवाद के खिलाफ जनादेश बताया।

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में बढ़ते परिवारवाद पर चिंता जताई। पीएम मोदी ने कहा कि राजनीति में परिवारवादी पार्टियां देश को खोखला कर रही हैं। पीएम मोदी ने कहा कि परिवारवाद से जातिवाद बढ़ता है। साथ ही उन्होंने कहा, “भाजपा के सांसदों के बच्चों को टिकट नहीं मिला क्योंकि यह परिवारवाद में आता है। उनको मेरी वजह से टिकट नहीं मिला।”
पीएम मोदी ने संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान परिवारवाद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उन्होंने कहा कि हालिया चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि ये परिवारवाद के खिलाफ जनादेश है। दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी व कई अन्य नेताओं द्वारा परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग की गई थी, जिसको लेकर भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। हालांकि, पार्टी ने रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को टिकट नहीं दिया था।
पीएम मोदी ने कहा, “अगर किसी सांसद के परिजनों को टिकट नहीं देना पाप है तो भाजपा में इस पाप के लिए मैं जिम्मेदार हूं। मैंने तय किया कि ऐसे लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा। मैं वंशवाद की राजनीति के खिलाफ हूं।”
भारतीय राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। वर्तमान में लोकसभा में कांग्रेस के 44 फीसदी सांसद नेताओं के परिवार से हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पार्टी के 25 फीसदी सांसद नेताओं के परिवार से हैं।
सेरी और अशोका यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आंकड़ों के लिहाज से क्षेत्रीय पार्टियों की तुलना में राष्ट्रीय पार्टियों में परिवारवाद ज्यादा हावी रहा है। 2019 में राष्ट्रीय दलों के 856 में से 227 प्रत्याशी नेताओं के परिवार से थे। जबकि, क्षेत्रीय दलों की बात करें तो 1333 में से 162 प्रत्याशी नेताओं के परिवार से थे। वहीं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक, भाजपा के 12 फीसदी और कांग्रेस के 11 फीसदी सांसद नेताओं के परिवार से थे। इस मामले में सीपीआई और सीपीआई (एम) ही ऐसे राजनीतिक दल रहे जिन्होंने नेताओं के परिवार से संबंध रखने वाले 5 फीसदी उम्मीदवार उतारे थे।

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