चरण सिंह
हरियाणा विधानसभा चुनाव में यह बात तो समझ में आ गई कि अब हरियाणा की राजनीति के चौधराहट खत्म होती जा रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चौधरियों का सर्वमान्य नेता माना जाता है पर हरियाणा के लोगों ने उनसे ज्यादा गैर जाट नेता को मुख्यमंत्री पद के रूप में स्वीकार किया। मतलब कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी को पसंद किया गया। ऐसे ही चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत संभाल रहे अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला को लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया। उप मुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये। दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय की स्थिति भी संतोषजनक नहीं रही। उधर अभय चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला और अर्जुन चौटाला में अर्जुन चौटाला ने ही अपने को साबित किया। बीजेपी के दिग्गज नेता कैप्टन अभिमन्यु की हालत भी पतली रही।
दरअसल बीजेपी ने एक रणनीति के तहत गैर जाट राजनीति हरियाणा में की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २०१४ में मनोहर लाल खट्टर को इसलिए मुख्यमंत्री बनाया था क्योंकि हरियाणा में पंजाबी वोटबैंक ठीक ठाक होने के साथ ही गैर जाट जातियां जाटों के प्रति एकजुट रहती हैं। यही वजह रही कि जब मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो बीजेपी ने किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया बल्कि नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा की रणनीति इन विधानसभा चुनाव में भी काम कर गई। जाटों ने भले ही हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में बड़ा माहौल बना दिया था। भले ही किसान आंदोलन और पहलवानों के आंदोलन को लेकर कांग्रेस हरियाणा में माहौल बनाने में लगी थी पर भाजपा ने इनका असर भी काफी हद तक कम किया। विनेश फोगाट मामले में भी कांग्रेस गलत कर गई। विनेश फोगाट को स्टार प्रचारक बनाकर चुनाव प्रचार कराना चाहिए था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अहंकार के चलते कुमारी शैलजा को खास तवज्जो न दी। कुमारी शैलजा ने एक निजी चैनल पर खुद बताया कि उनकी मुलाकात भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कभ हुई थी उनको पता नहीं है। यह भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चौधराहट ही रही जिसने कुमारी शैलजा से नहीं मिलने दिया।
राहुल गांधी आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना चाहते थे पर अति आत्मविश्वास के चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन नहीं होने दिया। भाजपा अपनी चाल में कामयाब हो गई। एक ओर भाजपा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच विवाद को हवा दी तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के सभी ९० सीटों पर लड़ने से कांग्रेस को नुकसान होने का प्रचार किया।
दरअसल देश की राजनीति में चौधराहट का बड़ा महत्व माना जाता है। विशेष रूप से हरियाणा में चौधरी देवीलाल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह देश के दो बड़े नेता हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत हाशिये पर है तो हरियाणा में चौधरी देवीलाल की।