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सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद सत्र के हंगामेदार होने के आसार,सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनो है तैयार

हंगामेदार
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नई दिल्ली, संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार , 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। इसके 23 दिसंबर तक चलने की संभावना है। 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले की 13 वीं बरसी के 3 दिन बाद शुरू होने जा रहे इस सत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी द्वारा अपनी किताब में किए गए खुलासे का मुद्दा उठना तय माना जा रहा है।

वहीं सरकार और विपक्ष दोनों ही कृषि कानूनों की वापसी के बहाने एक दूसरे पर निशाना भी साधते नजर आएंगे। कुछ महीनों बाद उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में होने जा रहे विधान सभा चुनाव की छाया भी इस सत्र पर पड़नी तय मानी जा रही है।

संसद सत्र को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ही तैयार हैं। दोनो की तैयारी देखकर यह साफ-साफ नजर भी आ रहा है कि संसद का यह सत्र भी काफी हंगामेदार ही रहने जा रहा है। एक तरफ विरोधी कांग्रेस पार्टी है जो अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। कांग्रेस किसानों से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर सरकार की नाकामी को उजागर कर हमला करने की रणनीति पर काम कर रही है। दूसरी ओर, भाजपा सरकार विरोधी दलों द्वारा उठाए जाने वाले तमाम मुद्दों पर ही पलटवार करने की तैयारी कर चुकी है।

विपक्ष भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी तो वहीं सरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की हाल ही में आई किताब में 26/11 को लेकर किए गए खुलासे का मुद्दा उठाकर कांग्रेस आलाकमान पर निशाना साधती नजर आएगी।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा उस समय से ही यह लगातार कह रही थी कि यूपीए सरकार की कमजोरी और अकर्मण्यता की वजह से देश को वह सब झेलना पड़ा था और अब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी इस सच को अपनी किताब में स्वीकार कर लिया है। भाजपा मुंबई आतंकी हमले के समय तत्कालीन सरकार द्वारा दिखाई गई कमजोरी और मोदी सरकार के दौर में किए गए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की तुलना करते हुए कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस राफेल डील के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर मोदी सरकार पर निशाना साधने की कोशिश करेगी तो पलटवार करते हुए भाजपा फ्रांस की मीडिया ( मीडियापार्ट ) द्वारा किए गए खुलासे का जिक्र करते हुए सीधे कांग्रेस आलाकमान पर हमला करते हुए यह सवाल करेगी कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के 5 वर्षों ( 2007-2012 ) के दौरान 36 राफेल की डील के लिए जो 65 करोड़ रुपये का कमीशन दिया गया , वह पैसा कहां गया , किसने लिया ?

कृषि कानूनों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही स्वयं यह साफ कर चुके हैं कि सरकार नेक नियत और समर्पण भाव से देश के किसानों खासकर 80 प्रतिशत छोटे किसानों के कल्याण के लिए यह कानून लेकर आई थी लेकिन देश के कुछ किसान भाईयों को सरकार यह समझा नहीं पाई। सरकार सोमवार को, संसद सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक ‘कृषि कानून निरसन विधेयक- 2021’ को पेश करने जा रही है। सरकार इसी दिन इस बिल को चर्चा के बाद पारित भी करवाना चाहती है। विरोधी दल भले ही ही इसे सरकार की हार बताकर सदन में हावी होने की कोशिश करेगी लेकिन भाजपा ने भी अपने तरकश में हमले करने के लिए कई तीर जुटा लिए हैं। भाजपा ने अपने कई वरिष्ठ नेता और सांसदों को इस पर खास तैयारी करने को भी कहा है।

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत और महंगाई के मुद्दें पर भी सदन में सरकार और विपक्ष एक दूसरे को घेरने की कोशिश करेंगे। कोविड महामारी के प्रबंधन को लेकर सरकार पर निशाना साधने के लिए विरोधी दलों के पास अपने तर्क है लेकिन ऐतिहासिक टीकाकरण का दावा करते हुए सरकार भी विरोधी दलों पर महामारी और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए पलटवार करने की तैयारी कर चुकी है।

विपक्ष पेगासस जासूसी कांड के मुद्दें के जरिए भी सरकार को घेरने की कोशिश करेगी तो वहीं चुनावी मौसम में भाजपा भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की किताब में हिंदू और हिंदुत्व के बारे में लिखे गए कथन को उठाकर जनता को संदेश देने की कोशिश करेगी।

राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही ममता बनर्जी की टीएमसी सदन में त्रिपुरा का मुद्दा उठाएगी तो भाजपा पश्चिम बंगाल में हुए विधान सभा चुनाव के बाद की हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकतार्ओं और नेताओं का मुद्दा उठाकर पलटवार करती नजर आएगी।

वैसे तो सरकार आगामी सत्र में ‘कृषि कानून निरसन विधेयक- 2021’ सहित कुल 26 नए विधेयक सदन में पेश करने की तैयारी में है। इसके साथ ही 3 अन्य विधेयकों पर भी सदन में चर्चा होनी है। सरकार और विपक्षी दल , सभी यह भी कह रहे हैं कि सदन चलना चाहिए और तमाम मुद्दों पर चर्चा भी होनी चाहिए। लेकिन किन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और किसके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पहले चर्चा होनी चाहिए , इसे लेकर सदन के भीतर तो हंगामा होना तय है ही।