नई दिल्ली| पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि उग्रवाद के पीछे का प्रमुख कारण मदरसे नहीं बल्कि स्कूल और कॉलेज हैं। जियो न्यूज की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई।
सूचना मंत्री ने कहा, “90 के दशक में उग्रवाद का प्रचार करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की जाती थी।”
चौधरी ने कहा कि राज्य और सरकार उग्रवाद से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से निपटने के दौरान उन्हें एक कदम पीछे हटना पड़ा।
मंत्री ने कहा कि देश को ‘अमेरिका या यूरोप से कोई खतरा नहीं है’, लेकिन ‘सबसे बड़ा खतरा भीतर से है’।
जियो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि चौधरी ने अफसोस जताया कि उग्रवाद का खतरा वह है जो किसी देश को अलग-थलग और नष्ट कर सकता है, और दुर्भाग्य से, पाकिस्तान को राजनीतिक और विदेश नीति के कारणों से ‘इस ओर धकेला गया’ है।
उन्होंने कहा कि गृहयुद्ध की स्थिति में, राज्य का नियंत्रण कम होता रहेगा और ‘समूह’ इसे अपने हाथ में ले लेंगे।
चौधरी ने कहा कि उग्रवाद को जड़ से खत्म करने के लिए इसके इर्द-गिर्द की कहानी को बदलना होगा।
उन्होंने कहा कि चरमपंथी दृष्टिकोण कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं और कोई भी व्यक्ति को इस तरह से सोचने से नहीं रोक सकता।
‘लेकिन, ऐसे व्यक्ति को कलाश्निकोव के साथ सरकार पर हमला करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, एक अलग ²ष्टिकोण रखने और इसे दूसरों पर थोपना दो अलग-अलग चीजें हैं।’