यूपी उप चुनाव में कांग्रेस ही खोदेगी सपा की जड़!

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चरण सिंह
भले ही सपा मुखिया अखिलेश यादव विधानसभा के उप चुनाव में सभी ९ सीटों पर अपने सिंबल पर प्रत्याशी खड़ा कर आपे में न समा रहे हों पर वह भी जानते हैं कि उनके इस निर्णय से कांग्रेस के नेताओं में नाराजगी है। कांग्रेस इन चुनाव में सपा का कितना साथ देगी। उसका जीता जागता उदाहरण फूलपुर से कांग्रेस जिलाध्यक्ष गंगापार सुरेश यादव का पर्चा भरना है। क्योंकि सुरेश यादव जिलाध्यक्ष हैं मतलब उनको प्रदेश के दूसरे बड़े नेताओं की भी शह भी मिल रही होगी। क्योंकि फूलपुर से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे, इसलिए अखिलेश यादव के इस निर्णय से उन्हें भी पीड़ा हुई होगी।
कांग्रेस कितना भी सपा का साथ देेने की बात करती रहे पर न तो कांग्रेस ही मन से सपा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाएगी और न ही उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों में अच्छा संदेश गया है। ऐसे में अखिलेश यादव की इस मनमानी का फायदा आजाद समाज पार्टी उठा सकती है। दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को क्षेत्रीय दल गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव सभी नौ सीटों पर अपने सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस यह भलीभांति समझ रही है कि यदि वह उप चुनाव में वह सपा के दबाव में आ गई तो फिर सभी दल विभिन्न चुनावों में उस पर दबाव बनाते दिखेंगे और ऐसे में उसे समझौता करना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस यह संदेश देना जरूर चाहेगी कि कांग्रेस को तवज्जो न देने का खामियाजा सपा को उठाना पड़ा है। वैसे भी बसपा के साथ ही सपा पर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के आरोप समय समय पर लगाते रहे हैं। वैसे भी उप चुनाव में सपा जीते या फिर बीजेपी कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
दरअसल अखिलेश यादव २०२७ के विधानसभा चुनाव के लिए इन उप चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी पर दबाव बनाना चाहते हैं। वह अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाकर अधिक से अधिक सीटें अपने नाम दर्ज कराना चाहते हैं। अखिलेश यह समझने को तैयार नहीं कि उनके वोट काटने के लिए बसपा के साथ ही चंद्रशेखर आजाद, असदुद्दीन ओवैसी और पल्लवी पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। इन चुनाव में आरक्षण और संविधान का मुद्दा भी नहीं गरमाने वाला है। ऐसे में अखिलेश के पास मात्र एक हथियार पीडीए ही है। पर आज का यादव वोटबैंक परिवारवाद और वंशवाद के चलते काफी हद तक सपा से नाराज है। दरअसल कांग्रेस को यदि समाजवादी पार्टी को सभी सीटों पर चुनाव लड़ाने के लिए कहना होता तो वह इतने बड़े स्तर पर फूलपुर सीट पर न अड़ती।

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