राम भक्ति पर सिर्फ भाजपा का कॉपीराइट नहींः उमा भारती

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अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच बांदा के चरखारी से बीजेपी विधायक रहीं उमा भारती ने कहा है कि रामभक्ति पर हमारा कॉपीराइट नहीं है। भगवान राम और हनुमानजी बीजेपी के नेता नहीं हैं। दोनों हमारा राष्ट्रीय सम्मान हैं। उमा भारती ने ये बातें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में विपक्ष के नेताओं को निमंत्रण को लेकर बीजेपी सरकार पर उठ रहे सवालों के जवाब देते हुए कहीं। उन्होंने विपक्षी नेताओं को अयोध्या जाकर प्रायश्चित करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की हिंदुओं और मुसलमानों को खुश करने की कोशिश के कारण बाबरी विध्वंस हुआ।

वही बात करे सेलिब्रिटीज, उद्योगपतियों और संत समाज के लोग भी वहा शिरकत भी करेंगे जिस पर उमा भारती ने जवाब देते हुए बोला कि निमंत्रण देना राम मंदिर ट्रस्ट का फैसला है। यह कोई पॉलिटिकल कॉल नहीं है। हमारा राम भक्ति पर कॉपीराइट नहीं है।उनके मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कोई भी हिस्सा ले सकता है और कोई भी आमंत्रित किया जा सकता है। साथ ही साथ उन्होंने सभी राजनेताओं से भी बोला कि इसे वह राजनौतिक तौर पर न देखें और इसमें हिस्सा लें। इस बात से डरें नहीं कि आप अपने वोट खो देंगे। उन्होंने बीजेपी नेताओं को भी संदेश दिया की इस हेकड़ी से बाहर निकलें कि केवल वे राम की भक्ति कर सकते हैं। मैं विपक्ष से कहूंगी कि आपको वहां जरूर जाना चाहिए। किसी भी दंभ या डर से आजाद होकर हमें इस कार्यक्रम में खुशी से हिस्सा लेना चाहिए।

साथ हि साथ उन्होंने कांग्रेस पर भी काफी जमकर हमला बोला कांग्रेस और वाम दलों पर राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ‘विषाक्त माहौल’ बनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने सलाह दी कि कांग्रेस और वामदलों के नेताओं को ‘प्रायश्चित’ के तौर पर बिना निमंत्रण के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में जाना चाहिए। राम मंदिर आंदोलन की हिस्सा रहीं उमा भारती ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने की कोशिश के कारण अंततः छह दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचे का विध्वंस हुआ।

22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण नहीं मिला है,तो अफ़सोस करने की जगह उन्होंने सभी विपक्षी दलों को यह सलह दी कि आप बिना निमंत्रण के वहां जाएं, सरयू नदी में डुबकी लगाएं और भगवान राम के सामने खड़े होकर कान पकड़कर क्षमा मांगे।

नेहरू का फैसला बना बाबरी विध्वंस का कारण

उन्होंने कहा, ‘उस समय, (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू ने मुसलमानों को खुश करने के लिए परिसर को बंद करने और हिंदुओं को खुश करने के लिए सुबह और शाम पूजा की अनुमति देने का फैसला किया। नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने के लिए शुरू की गई परंपरा छह दिसंबर को ढांचा विध्वंस का कारण बनी।’ भारती ने कहा कि इस परंपरा के कारण कांग्रेस दुविधा में है क्योंकि उसकी राम या राम राज्य में कोई आस्था नहीं है और उसे मुसलमानों की भी चिंता नहीं है बल्कि वह केवल वोट चाहती है।

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने राम और राम-सेतु के अस्तित्व को नकार दिया ….और वे इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस सरकार का हलफनामा है जिसमें कहा गया कि राम काल्पनिक थे।’ भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवक शांत थे लेकिन उन्हें बिना किसी चेतावनी के सिर और सीने में गोली दाग दी गईं। उन्होंने सवाल किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने इस तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया और मुलायम सिंह यादव (तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं शुरू किया।

मथुरा-काशी हिंदुओं के महत्वपूर्ण स्थान
भारती ने कहा कि मथुरा और काशी में धार्मिक स्थलों से संबंधित विवाद अदालतों के समक्ष हैं, लेकिन अयोध्या की तरह, मथुरा और काशी भी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं। उन्होंने कहा कि अदालत अपना फैसला उन पर थोप सकती है, लेकिन उनकी भावनाओं पर नहीं कि मथुरा में जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वहां एक भव्य मंदिर होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया, ‘वह यह आदेश कैसे दे सकती है कि उमा भारती, आपको काशी, मथुरा में आस्था नहीं रखनी चाहिए।’

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