प्रियंका सौरभ
बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत !
क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत !!
माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत !
मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत !!
जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास !
जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस !!
खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान !
आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान !!
छँटे कुहासा मौन का, निखरे मन का रूप !
सब रिश्तों में खिल उठे, अपनेपन की धूप !!
दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर !
कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर !!
छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान !
नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान !!
(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)