उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित ट्विन टावर को 28 अगस्त यानी रविवार के दिन जमींदोज कर दिया जाएगा। भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े इस 40 मंजिला इमारत को एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मलबे के ढेर में बदला जा रहा है। आपको बता दें कि इमारत को जमांदोज करने से ठीक 15 मिनट पहले एक्सप्रेसवे पर डायवर्जन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी, जिसके कारण लोगों के लिए आने-जाना पूरी तरह से बंद हो जाएगा। इसको देखते हुए ट्रफिक पुलिस ने भी शुक्रवार को डायवर्जन प्लान जारी कर दिया है। इस डायवर्जन प्लान के बारे में जानने के लिए लोग गूगल मैप का भी इस्तेमाल कर सकते है। तमाम मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविवार सुबह 7 बजे से ही इन सभी मार्गों पर प्रशासन की तरफ से काफी सख्ती बरती जाएगी लेकिन टावर के आसपास की दो सोसाइटी एटीएस विलेज व एमराल्ड कोर्ट में रहने वाले लोगों को बाहर आने की इजाजत होगी।
बनाए जाएंगे दो और नए टावर
मामले में जानकारी देते हुए एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी की एओए के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त डीआईजी उदयभान सिंह तेवतिया ने बताया कि सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर 93A में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ, जिसमें 14 टावर का नक्शा पास हुआ है। इसके साथ ही योजना में 3 बार संशोधन हुआ और 2 नए टावर की मंजूरी दे दी गई। ये दोनों टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए जाएंगे।
रविवार को हो जाएगा जमींदोज
वहीं दूसरी तरफ आईआईडीसी ने बताया कि ट्विन टॉवर को ध्वस्त किए जाने के लिए सीएसआईआर-सीबीआरआई के सहयोग से मुंबई की मेसर्स एडिफाइस इंजीनियरिंग एजेंसी का चयन किया गया है। एजेंसी ने पूर्व में कोचीन में ऐसी ही एक इमारत के सफलतापूर्वक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है। इसे गिराने के लिए वॉटर फॉल इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जोकि डिजाइन के अनुसार मनचाही दिशा में भवन को गिराने के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है। आईआईडीसी ने साथ ही बताया कि दोनों टॉवर में 9600 होल किए गए हैं, जहां विस्फोटक को रखा जा चुका है और अब इन्हें चार्ज किया जा रहा है। 28 अगस्त को दोपहर में ठीक 2:30 बजे एक बटन दबाने के महज 12 सेकेंड के भीतर 30 मंजिला टावर संख्या 16 और 31 मंजिला टॉवर संख्या 17 जमींदोज हो जाएगी।
ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के कारण इमारत के आस-पास रह रहे लोगों के बीच काफी डर का माहौल बना हुआ है, जिसे देखते हुए कंपनी के एडिफिस के इंजीनियर जिगर छेड़ा ने बताया कि नोएडा आथॉरिटी ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए है। लोगों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इमारत को गिराने का काम दुनिया की सबसे अच्छी टीम कर रही है। ध्वस्तीकरण के बारे में जानकारी देते हुए आगे कहा कि गैल की पाइपलाइन जमीन से 3 मीटर अंदर है और वह 4 रिक्टर स्केल वाले भूकंप को सह सकती है लेकिन फिर भी हमने सावधानी के लिए जमीन पर प्लेट्स लगा दी हैं। इसकी वजह से गैल की पाइपलाइन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।