बिहार की सियासत में फिर हलचल!
पटना। दीपक कुमार तिवारी।
बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच इशारों में हुई बातचीत ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। सदन में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के बगल में बैठे नीतीश कुमार ने जब तेजस्वी यादव की ओर इशारा किया, तो तेजस्वी ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया। इस छोटे से दृश्य ने बिहार की राजनीति में संभावित बदलावों को लेकर चर्चाओं को गर्म कर दिया है।
क्या फिर करीब आ सकते हैं ‘चाचा-भतीजा’ ?
इस इशारों की राजनीति के बीच एक और अहम बयान चर्चा में है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव पहले ही संकेत दे चुके हैं कि उनके लिए नीतीश कुमार के दरवाजे खुले हैं। हाल ही में लालू ने कहा था, “हम मिलकर बीजेपी को रोकने के लिए तैयार हैं।” इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं उनका इशारा नीतीश की ओर तो नहीं था?
हालांकि, तेजस्वी यादव फिलहाल इस संभावना को नकार रहे हैं कि नीतीश कुमार दोबारा महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन बिहार की राजनीति में परिस्थितियां कब बदल जाएं, कहा नहीं जा सकता। वहीं, नीतीश कुमार ने अब तक सार्वजनिक रूप से एनडीए के साथ रहने की बात कही है, लेकिन उनके अतीत को देखते हुए कोई भी संभावना पूरी तरह से खारिज नहीं की जा सकती।
बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हुई इस ‘इशारों की बातचीत’ से बीजेपी भी सतर्क हो गई है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व इस बात पर नजर बनाए हुए है कि नीतीश कुमार की अगली रणनीति क्या होगी। बीते वर्षों में नीतीश कई बार पाला बदल चुके हैं, जिससे बीजेपी को भी उनके अगले कदम को लेकर संदेह है।
आने वाले दिनों में बड़ा सियासी उलटफेर?
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की छवि एक ऐसे नेता की रही है, जो हमेशा नए समीकरण बनाने में माहिर हैं। ऐसे में अगर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले कोई नया राजनीतिक गठजोड़ बनता है, तो यह हैरानी की बात नहीं होगी।
फिलहाल, इस ‘इशारों की बातचीत’ का असली मतलब क्या था, यह तो सिर्फ नीतीश और तेजस्वी ही बता सकते हैं। लेकिन बिहार की राजनीति में हलचल बढ़नी तय है।