मुंबई, महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उस समय उबाल आ गया जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)के मंत्री डा. जितेन्द्र अवहाद ने यह घोषणा की कि महाविकास अघाड़ी 2024 में एक बार फिर से सत्ता में आएगी और पार्टी प्रमुख शरद पवार शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फिर से राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।
डा. अवहाद ने नवी मुंबई में पार्टी की एक बैठक में कहा कि यह पवार की गुप्त इच्छा है जिसे उन्होंने नजदीकी लोगों के बीच ही साझा किया है। उन्होंने कहा कि रांकापा-शिवसेना और कांग्रेस मिलकर 2024 में विधानसभा चुनाव लडेंगे और यह गठबंधन फिर से सत्ता में आकर भाजपा को विपक्ष में बैठने को मजबूर करेगा।
उनके इस बयान को राजनीतिक हलकों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी तरह का बयान शिवसेना सांसद तथा पार्टी प्रवक्ता संजय राउत भी पहले दे चुके थे लेकिन उस पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया था।
उनके इस बयान पर कांग्रेस ने थोड़ा तीखा रवैया अपनाया है लेकिन भाजपा को यह तरह से चुभता दिखाई पड़ रहा है मगर उसने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
इस बार प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष आरिफ नसीम खान ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन प्रयोग 2019 में किया गया था और उस समय की परिस्थितियों के आधार पर वह फैसला लिया गया था तथा यह न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर काम करता है।
उन्होंने आईएएनएस को बताया राज्य में इस बार कांग्रेस काफी मजबूत होती जा रही है खासकर निचले स्तर पर संगठन की हालत अच्छी है । हमारा एकमात्र लक्ष्य अधिक से अधिक सीटें जीतना अपना मुख्यमंत्री चुनना है।
उन्होंने हालांकि डा. अवहाद के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है और न ही यह कहा है कि पार्टी किसी एकीकृत मार्ग को अपनाएगी लेकिन यह जरूर कहा कि वर्ष 2024 की स्थितियों के आधार पर कांग्रेस कोई निर्णय लेगी।
शिवसेना के किसान चेहरे और वसंतराव नायक शेट्टी स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा है कि पवार ने जो बात कही है वह मुख्यमंत्री के बेहतर कामकाज का प्रमाण है तथा उनकी तुलना में भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस के कार्यकाल में कोई खास काम नहीं हुआ था।
तिवारी ने आईएएनएस को बताया यह लोगों की मुक्त इच्छा है कि वह 2024 में इस गठबंधन को फिर से वोट देकर 200 से अधिक सीटों पर विजयी बनाएगी । जनता भाजपा सरकार के उस रवैये को नहीं भूली है जो उसने किसानों के प्रति दर्शाया था और उसके कार्यकाल में मुद्रास्फीति, मंहगाई, ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी, बेरोजगारी और झूठे वादों से जनता परेशान है तथा गैर भाजपा शासित राज्यों में नेताओं को डराने के लिए वह केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।