शारदा सिन्हा के बेटे बोले:प्रशंसकों को खुशी होगी
पटना। बिहार कोकिला के नाम से प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को निधन हो गया. उनके निधन से उनके चाहने वाले गहरे शोक में हैं. शारदा सिन्हा उत्तर प्रदेश और बिहार में बेहद लोकप्रिय थीं, साथ ही पूरे देश में उनके प्रशंसक थे. 72 वर्षीय लोक गायिका लंबे समय से मायलोमा रक्त कैंसर से जूझ रही थीं और दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली.
गुरुवार को उनके निधन के बाद उनके बेटे अंशुमान ने मीडिया से बातचीत की और मांग की कि उनकी मां को देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, प्रदान किया जाए. अंशुमान ने कहा, मेरी मां ने बहुत कुछ किया, और वह सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी बेहद लोकप्रिय थीं. हालांकि हम किसी शिकायत या विशेष मांग की अपेक्षा नहीं रखते, लेकिन हमें हमेशा लगता था कि उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना चाहिए था.
अंशुमान ने आगे कहा, मेरी मां ऐसी नहीं थीं, जो कभी मन में शिकायत पालें . हमें खुशी के साथ जो कुछ भी मिला, उसमें संतुष्ट रहना हमने उनसे ही सीखा था. हम जानते हैं कि सरकार मरणोपरांत भी लोगों को सम्मानित कर सकती है. अगर मेरी मां को मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा जाता है, तो इससे उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसकों को बहुत खुशी होगी. ज्ञात हो कि शारदा सिन्हा को पहले ही पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका था.
दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान अपनी मां के साथ रहे अंशुमान ने उनके अंतिम पलों को याद करते हुए कहा, उनकी मां ने एक जानलेवा बीमारी के खिलाफ कठिन लड़ाई लड़ी, लेकिन अंत में वह उसे हरा नहीं सकीं. उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखे जाने से पहले ही उन्हें महसूस हो गया था कि अंत नजदीक है. उन्होंने मेरी बहन वंदना और मुझसे कहना शुरू कर दिया था कि चीजें बहुत कठिन हो गई हैं और हमें उनके बिना रहना सीखना होगा।
शारदा सिन्हा के अंतिम गाने पर अंशुमान ने कहा मेरी मां ने जो आखिरी गाना रिकॉर्ड किया था, वह भोजपुरी में एक भजन था. जिसमें छठी मइया से भक्तों के कष्ट दूर करने की प्रार्थना की गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि इस गाने को ऑनलाइन बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. अंशुमान ने कहा कि मां का जीवन के दौरान ही नहीं, बल्कि उनके अंतिम पल में भी छठ से गहरा नाता था.