द न्यूज 15
नई दिल्ली । भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में बंपर जीत हासिल की थी, लेकिन अगले ही साल कोरोना ने दस्तक दी और फिर किसान आंदोलन की शुरुआत हो गई। इसके अलावा विपक्ष की ओर से देश में महंगाई और बेरोजगारी को भी बड़ा मुद्दा बनाया गया था। एक तरफ पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन को मुद्दा बताया जा रहा था तो वहीं उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा थी। लेकिन ये सभी मुद्दे नहीं चल पाए और अंत में रिजल्ट आया तो 5 राज्यों में से 4 में भाजपा जीत की ओर बढ़ चली है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश की जीत अहम है, जहां 35 सालों बाद कोई पार्टी सत्ता में वापसी कर रही है।
इसके अलावा उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों का बदलना भी भाजपा के उतना खिलाफ नहीं गया, जितना माना जा रहा था। 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद यह पहला मौका है, जब किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल हुई है। वहीं मणिपुर में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और 60 में से 25 सीटें जीतती दिख रही है। साफ है कि सरकार बनाने की स्थिति में वही है। 40 सीटों वाले गोवा में भी भाजपा 19 सीटों पर बढ़त हासिल कर रही है। इसका मतलब यह हुआ कि इस बार की चुनावी जंग भाजपा 4-1 से जीत रही है। इस बड़ी जीत के पीछे मोदी मैजिक को भी माना जा रहा है। विपक्षी नेताओं और कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना था कि मोदी मैजिक कमजोर हो रहा है, लेकिन नतीजों ने ऐसे तमाम दावों को गलत साबित कर दिया है।
कल्याणकारी योजनाओं का दिखा असर : उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत सभी राज्यों में भाजपा की ओर से मुफ्त राशन और मकान दिए जाने की बात कही जा रही थी। पीएम आवास योजना, राशन स्कीम और उज्ज्वला जैसी तमाम योजनाओं का भाजपा ने जमकर प्रचार किया था। सीएम योगी आदित्यनाथ तो लगभग हर सभा में बताते थे कि राज्य में 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। लेकिन यह स्कीम केंद्र सरकार की ही रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने काम किया है और उसका असर नतीजे के तौर पर दिख रहा है।
उत्तराखंड में सीएम बदलना भी क्यों नहीं गया खिलाफ : उत्तराखंड में 2017 में जीत मिलने के बाद भाजपा ने आरएसएस के प्रचार रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया था। लेकिन आखिरी दौर में चीजें बदलीं तो उनके स्थान पर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया और आखिरी कुछ महीनों में उन्हें भी हटाकर पुष्कर सिंह धामी को कमान दे दी गई। माना जा रहा था कि इस तरह की अस्थिरता भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती थी, लेकिन नतीजे आए तो पार्टी को जीत मिली। माना जा रहा है कि यह मोदी मैजिक ही है कि तमाम अस्थिरता के बाद भी पार्टी को बड़ी जीत मिली। यह जीत इतनी बड़ी थी कि कांग्रेस के सीएम हरीश रावत खुद लालकुआं सीट से हार गए। मणिपुर में 28 और पांच मार्च को दो चरणों में वोटिंग हुई थी। राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेंद्र सिंह, विधानसभा के अध्यक्ष वाई. खेमचंद टीएच. वश्विजीत, मंत्री टीएच राधेश्याम और विधायक निमचा किपगेन समेत कई दग्गिज राजनेताओं की किस्मत का फैसला होगा। मतगणना के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा बलों के जवान वाहनों को रोक कर सघन जांच कर रहे हैं। निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि मतगणना के रूझान दोपहर से पहले आ जाएंगे। मणिपुर विधानसभा चुनाव, 2022 के नतीजों से जुड़ा हर एक अपडेट जानने के लिए हमारे साथ बने रहें…
मणिपुर में भाजपा, जदयू के उम्मीदवार ने दर्ज की जीत : मणिपुर विधानसभा चुनाव की 60 सीटों में से 41 सीटों पर प्रारंभिक रूझान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 19 सीटों पर आगे चल रही है। वाबगई विधानसभा नर्विाचन क्षेत्र से भाजपा के डॉ. यू देबेन सिंह ने अपने प्रतद्विंदी कांग्रेस के प्रत्याशी एम डी फजूर रहीम को 50 मतों के अंतर से हराया। वहीं कांग्रेस तीन सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। मणिपुर में तिपाईमुख विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल (यूनाइटेड) के न्गुरसांग्लुर सनाते ने अपने प्रतद्विंदी भाजपा के उम्मीदवार सी एल अमो को 1249 मतों से पराजित किया। जदयू तीन सीटों पर बढ़त बनाई है।
पिछले विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस अभी महज तीन सीटों पर आगे चल रही है, जिसमें थोउबल सीट भी शामिल है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी से 1,225 मतों से आगे चल रहे हैं।
मणिपुर विधानसभा की सभी 60 में से 41 सीटों पर रुझान इस प्रकार हैं-
पार्टी बढ़त
भाजपा…………..22
कांग्रेस …………..03
एनपीपी……………06
एनपीएफ…………..05
अन्य……………….05
कुल ……………..41
कांग्रेस के ओकराम इबोबी सिंह आगे
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के ओकराम इबोबी सिंह थौबल में लीतानथेम बसंत सिंह (भाजपा) के खिलाफ 1,225 से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह 8,574 से अधिक वोटों से आगे
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हेनगांग में कांग्रेस प्रत्याशी से 8,574 से अधिक वोटों से आगे चल रहे हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह थौबल में भाजपा के एल बसंता पर 472 से अधिक वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष एन लोकेन सिंह नामबोल में भाजपा उम्मीदवार थौनाओजम बसंता से 4,426 वोटों से पीछे चल रहे हैं।
मणिपुर चुनाव में 89.3 फीसदी हुआ है मतदान : मणिपुर में 12वीं आम विधानसभा चुनाव में 89.3 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो अब तक का रिकॉर्ड मतदान है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) राजेश अग्रवाल ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। दसवें और 11वें आम चुनावों के दौरान मतदान प्रतिशत क्रमशः 79.5 प्रतिशत और 86.4 फीसदी रहा था। इस बार दो चरणों में मतदान 28 फरवरी और पांच मार्च को हुआ था।
मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर भाजपा आश्वस्त : मणिपुर विधानसभा चुनाव 2022 के लिए एग्जिट पोल में भाजपा की जीत का अनुमान व्यक्त किए जाने के बाद पार्टी आज को होने वाली मतगणना को लेकर जहां आश्वस्त दिख रही है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस राज्य में अपनी विरोधी को सत्ता में वापसी करने से रोक लेगी।