दरअसल गत सप्ताह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने युवाओं को सरकार के प्रमुख डिजिटल इंडिया अभियान से जोड़ने के लिए एक करोड़ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को मुफ्त टैबलेट और स्मार्ट फोन वितरित करने के लिए एक अभियान चलाया है। बेरोजगारी को लेकर भाजपा और आरएसएस चुनाव से पहले यूपी सरकार की छवि को बेहतर करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं।
पिछले महीने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रयागराज, गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, कानपुर और आगरा में इंटरनेट एक्सचेंजों के साथ-साथ गोंडा, वाराणसी, मुरादाबाद और सहारनपुर में यूआईडीएआई-आधार सेवा केंद्रों का उद्घाटन किया।
इन परियोजनाओं के अलावा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारतनेट परियोजना पर भी जोर दे रहे हैं। जिसमें 16 राज्यों में हर गांव को ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लिए 29,500 करोड़ रुपये की परियोजना शामिल है। इसके आने वाले महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि मोदी अपने प्रयास से योगी को मजबूती देते हैं या फिर कमजोरी ?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी को ‘कंधा’ दे रहे मोदी !
चरण सिंह राजपूत
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की बिसात पर सभी दलों ने अपनी-अपनी मोहरे सजा दी हैं। मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। योगी सरकार रोजी रोटी के मुद्दे पर घिरती दिखाई दे रही है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 दिसंबर में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.84 फीसदी हो गई है। जो कि सितंबर महीने में 6.86 रही थी। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दर 4.9 प्रतिशत है। इसको लेकर विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर है।
भाजपा का तमाम विरोध के साथ 2019 में फिर से केंद्र की सत्ता पर काबिज होना। बिहार में फंसे हुए चुनाव को निकाल लेना, मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बेदखल कर अपनी सरकार बनाना देश के अधिक राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी होना ऐसे ही नहीं हुआ है। सत्ता के लिए भाजपा के एक से बढ़कर एक दिग्गज लगे होते हैं। देश में जब रोजी और रोटी का बड़ा संकट है। ऐसे में भी देश में बड़े स्तर पर भाजपा के समर्थक होना अपने आप में भाजपा की रणनीति का बड़ा हिस्सा है। जब विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ घिरते हुए दिखाई दे रहे हैं तो उनका साथ देने के लिए केंद्र सरकार योगी की मदद के लिए आगे आ गई है। जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच सब कुछ ठीक नहीं मानकर चल रहे थे वे यह भी देख रहे होंगे कि यह आरएसएस का चुनाव प्रबंधन है कि प्रधानमंत्री को योगी आदित्यनाथ की मदद के लिए लगा दिया है। गत दिनों जब पूर्वांचल एक्सप्रेस वे उद्घाटन के मौके पर योगी आदित्यनाथ के प्रधानमंत्री की गाड़ी के पीछे चलते हुए फोटो खूब वायरल हुई थी। तो यह कहा जा रहा था कि योगी मोदी का यह विवाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी सरकार के लिए दिक्क्तें पैदा कर सकता है। ऐसे में प्रधानमंत्री का अपनी सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश में काम करना योगी सरकार को मजबूती देता प्रतीत हो रहा है।
चुनाव से पहले योगी सरकार की छवि बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उत्कृष्टता के कई केंद्रों, प्रौद्योगिकी पार्कों और उद्यमिता केंद्रों को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर डिजिटल तरीके से कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं। युवाओं की नाराजगी को दूर करने के लिए गत दिसंबर महीने में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने पूरे यूपी में सात इंटरनेट एक्सचेंज, लखनऊ में उद्यमिता का केंद्र और मेरठ में उत्कृष्टता केंद्र लॉन्च किया। यूपी स्थित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के साथ पंजीकृत इकाइयों ने पिछले वित्त साल के दौरान आईटी निर्यात में 22,671 करोड़ रुपये का योगदान दिया। कुछ भी हो केंद्र सरकार ने विधान सभा चुनाव से पहले डिजिटलीकरण और स्टार्ट-अप को लेकर बढ़ावा देकर इसे राजनीतिक चर्चा का मुख्य आकर्षण बना दिया है। इसे इस रूप में भी ले सकते हैं कि किसान आंदोलन से जितना नुकसान मोदी सरकार के चलते योगी सरकार को हो सकता है उतनी भरपाई से केंद्र सरकार से की जा रही है।