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“महात्मा गांधी” के बाद “मोदी” और भगत सिंह के बाद “सिसोदिया”

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इन दिनों राजनीतिक पार्टीयों के बीच अपने काम को ऐतिहासिक बता देने की होड़ लगी हुई है, दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया पर शराब नीति के घोटाले के आरोप है जिसके चलते उन्हें CBI का समन मिला। इसके बाद मनीष सिसोदिया अपने घर से CBI के दफ्तर पहुंचने तक ऐसा रोड शो करते है मानो पूछताछ के लिए नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई लड़ने जा रहें हो। दिल्ली के CM केजरीवाल ने भी उनकी तुलना शहीद भगत सिंह से कर दी।

ठीक उसी प्रकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जनता से संवाद करने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद पहला नेता बता दिया, क्या स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना आज के नेता जो कि करोड़ो रुपये केवल अपनी चुनावी रेली में खर्च कर देते है, जिसका कोई हिसाब नहीं देते उनसे करना सही रहेगा?

मनीष सिसोदिया के मामले पर भगत सिंह के करीबी रिश्तेदारों ने सवाल उठाते हुए दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल से सवाल किया कि “मुजरिमों की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से क्यों?”

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कम से कम भगत सिंह के रिश्तेदारों ने न केवल शहीद भगत सिंह का बचाव किया बल्कि सभी स्वतंत्रता सेनानियों के राजनीतिक प्रयोग पर सवाल खड़े किए।

भगत सिंह के करीबी रिश्तेदार हरभजन सिंह धात ने कहा कि – “हमारें स्वतंत्रता सेनानी कभी सत्ता में नही आना चाहते थे, उनकी लड़ाई कुछ और थी और आज के नेताओं की कुछ और, आप शहीदों का नाम राजनीति में घसीट कर पोलिटिकल माइलेज ले रहें। अगर उन्हें सत्ता में आना होता तो वे फांसी चढ़कर शहीद नहीं होते बल्कि जीते।

पूछताछ के लिए CBI दफ्तर जाते दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया का रोड शो

आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर ये पहली कार्यवाही नही, पहले कार्यकाल के दौरान एक के बाद एक सभी नेताओं पर कार्यवाही की गई लेकिन आज तक उन कार्यवाहियों का क्या हुआ BJP नहीं तो कम से कम जांच एजेंसिया तो बता सकतीं थी।

वहीं कल यानी 17 Oct के दिन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया को सुबह 11 बजे CBI के दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचना था, लेकिन सुबह से Twitter पर फोटो और साथ चल रहा हुजूम एक राजनीतिक स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं लगता, लगता है खुद को आम आदमी की पार्टी बताने वाली पार्टी ने अपनी विरोधी पार्टी से काफी कुछ सीख चुकी है।

अब चुनाव की रैली की तस्वीरें और आरोपी के तौर पर पूछताछ के लिए जाने वाली तस्वीरों में फर्क ही खत्म हो गया है।

इसी दिन गुजरात के गांधीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि – “नरेंद्र मोदी अब  प्रधानमंत्री या जननेता नहीं रहे, वे देश के सांस्कृति पुनर्जागरण के प्रतीक और बड़े समाज सुधारक साबित हो रहे हैं।

इस देश की नब्ज को पहचानने वाला और जनता से सीधे संवाद करने वाला महात्मा गांधी के बाद अगर कोई दूसरा नेता है तो वो नरेंद्र मोदी हैं”

रक्षा मंत्री जी को GHI के आंकड़ो में विश्वभर में भारत की स्थिति को भी देखना चाहिए, उनकी पार्टी के अनुसार अगर यह आंकड़े केवल बच्चों पर केन्द्रित है, इसके बावजूद भी यह आंकड़े क्या कम चिंता जनक नहीं है?

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75 साल पहले मिली आजादी के लिए संघर्ष करने वाले देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष कर रहे थे न कि किसी अमुख राज्य में विधायकों को तोड़ कर सरकार बना लेने के, बिना संसाधनों के लड़ने वाले शहीदों की तुलना आज की राजनीति से करना किसी तरह से जायज नहीं लगता।