सऊदी अरब की इस नीति से ‘घर वापसी’ को मजबूर हो जाएंगे लाखों भारतीय मजदूर

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भारतीय मजदूर
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द न्यूज 15 
नई दिल्ली। जाने की इच्छा रखने वाले या वहां रहने वाले 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर-कामगारों को बेरोजगारी की भयानक समस्या का सामना करना पड़ सकता है, परदेस छोड़कर देश लौटने को मजबूर होना पड़ सकता है। ऐसा हुआ तो भारत बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था के नए भंवर में फंस जाएगा। बड़ी आबादी के वापस आने से सऊदी अरब से आने वाली पूंजी भी भारत की अर्थव्यवस्था को सहारा नहीं दे पाएगी, जो अभी तक बहुत बड़ा रोल अदा करती है। ऐसा इसलिए संभावित है कि सऊदी अरब फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन टेक्नोलॉजी को कारखानों से लेकर लगभग सभी जगह लागू करने जा रहा है, जिसमें हाथ से काम करने की बहुत कम जरूरत होगी और एक ही व्यक्ति सैकड़ों लोगों के काम को अंजाम दे सकेगा। सऊदी अरब चौथी औद्योगिक क्रांति प्रौद्योगिकी यानी 4IR का इस्तेमाल कर अपने 4000 कारखानों में बदलाव कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतरने जा रहा है। चौथी औद्योगिक क्रांति में मुख्य रूप से चार विशिष्ट प्रौद्योगिकियां शामिल हैं- हाई-स्पीड मोबाइल इंटरनेट, एआई और ऑटोमेशन, बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग और क्लाउड टेक्नोलॉजी। सऊदी उद्योग व खनिज संसाधन मंत्री बंदार अलखोरायफ ने रियाद में सैन्य जनशक्ति विकास रणनीति पर केंद्रित सम्मेलन में कहा, इस क्षेत्र की नई रणनीति स्थानीय रूप से समृद्ध इनपुट बढ़ाने के साथ-साथ 4IR प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित रहेगी। अलखोरायफ ने कहा कि एक स्पष्ट कार्यक्रम के साथ एक औद्योगिक कोष भी स्थापित किया जाएगा, जो इस क्षेत्र में निवेशकों को सॉफ्ट लोन की मदद से 4IR प्रौद्योगिकियों की ओर ले जाने में मदद करेगा। औद्योगिक शहरों और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए सऊदी प्राधिकरण, MODON 100 कारखानों को ऐसे मॉडल में तब्दील करने के लिए काम कर रहा है, जिनका अन्य अनुकरण कर सकते हैं।
सैन्य उद्योग के लिए सामान्य प्राधिकरण, GAMI द्वारा जनशक्ति रणनीति के शुभारंभ के दौरान उन्होंने कहा, नई प्रौद्योगिकियां इस क्षेत्र को स्थानीय कार्यबल में बदलने का सबसे बड़ा समर्थक हैं। आज मौजूद विशेषाधिकार अतीत में भी मौजूद थे, बुनियादी ढांचे, वित्तपोषण समेत सभी मामले में, लेकिन आज फर्क यह है कि इन विशेषाधिकारों को जरूरी कानून बनाकर सक्रिय किया जा रहा है”, उन्होंने कहा कि आज देश की औद्योगिक रणनीति का मकसद सस्ते मजदूरों पर निर्भरता से हटकर गुणवत्तापूर्ण नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा, “हमारी भूमिका क्षमताओं से मेल खाने वाली नौकरी के मौकों को सुनिश्चित करना है। इसके अलावा भविष्य की जरूरतों के हिसाब से मानवीय क्षमताओं को बढ़ाने पर भी काम करना है।” (वर्कर्स यूनिटी साभार)

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