मतलब के सब यार

0
241
Spread the love

फैला रिश्तों का बाजार ।

मतलब के सब रिश्ते नाते,

मतलब के सब यार।।

मतलब का है लेना देना,

मतलब के सब बोल ।

स्वार्थ के संग तुल गए,

संबध सब अनमोल । ।

दिल के भाव सूख गए,

मुरझा गया है प्यार ।

मतलब के सब यार ।।

भूल बैठे त्याग-कर्त्तव्य,

सबको अधिकार लुभाए ।

भौतिक सुख की लालसा,

पल-पल डसती जाए । ।

अपनेपन का रंग लुटा,

हैं फीके-फीके त्योहार ।

मतलब के सब यार ।।

रूठा-रूठा मुखिया से,

परिवारजनों का मन ।

पत्नी सुख साथिन हुई,

पुत्र चाहे बस धन । ।

फैल गया जीवन में,

अब धन का व्यापार ।

मतलब के सब यार ।।

 

(प्रियंका सौरभ के काव्य संग्रह ‘दीमक लगे गुलाब’ से।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here