चरण सिंह
भले ही बहुजन समाज पार्टी को बीजेपी की बी टीम माना जा रहा हो, भले ही बसपा मुखिया इंडिया गठबंधन में शामिल न हुई हों, भले ही मायावती किसी दबाव में देखी जा रही हों पर जिस तरह से उन्होंने टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया है। जिस तरह से उनका भतीजा आकाश आनंद लगातार मेहनत कर अपने को साबित कर रहा है। मायावती ने भी ब्राह्मणों और मुस्लिमों को जमकर टिकट बांटे हैं और कई सीटों पर सीधे भाजपा से टक्कर में है। जिस तरह उनके भतीजे आकाश आनंद सधी हुई चाल चल रहे हैं। खुद मायावती चुनावी प्रचार में उतर चुकी हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में गुल खिलाने जा रही हैं।
दरअसल बीएसपी ने ९ प्रत्याशियों की चौथी लिस्ट भी जारी कर दी है। चौथी लिस्ट जारी करने के बाद बसपा के ४५ प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। देखने की बात है कि १५ सवर्णांे में ७ प्रत्याशी ब्राह्मण हैं। मायावती ने सपा के पीडीए और पल्लवी पटेल के पीडीएम के मुकाबले बीडीएम बनाया है। मतलब ब्राह्मण दलित मुस्लिम। यह चुनाव मायावती २००७ के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लड़ रही हैं। २००७ में भी मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही थीं और पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। उन चुनाव में भी मायावती ब्राह्णों को तवज्जो दी थी। यही वह दौर था जब मायावती पर दलितों ने ब्राह्मणों के चलते उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया था। वह दौर मायावती के वकील रहे सतीश मिश्रा का था। हालांकि मायावती ने डीपी यादव, उमाकांड यादव जैसे नेताओं को दो मिनट के अंदर पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
मायावती की यह रणनीति शुरू से ही रही है कि संगठन में लगभग सभी पद वह दलित समाज के लोगों को ही देती हैं। सवर्णांे और पिछ़ड़े नेताओं को टिकट वह पैसे लेकर देती हैं। यही वजह है कि वह खुलेआम बोलती हैं कि वह पूंजीपतियों से पैसा नहीं लेती हैं। उनके कार्यकर्ताओं के पैसों से उनका संगठन चलता है। इसमें दो राय नहीं कि मायावती किसी दबाव में नहीं आती हैं। मायावती के भतीजे ने भी नगीना लोकसभा सीट पर कहा था कि उनकी पार्टी धन्ना सेठों के पैसों से नहीं बल्कि कार्यकताओं से पैसों से चलती है। यही वजह से रही बसपा को चुनावी बॉंड का कोई अरोप नहीं लगा। इसमें दो राय नहीं कि भले ही मायावती विपक्ष के साथ खड़ा न हो पा रह हो पर न केवल इंडिया गठबंधन बल्कि एनडीए का भी नुकसान हो रहा है। बिजनौर, गौतमबुद्धनगर और घोसी लोकसभा सीट पर बसपा की सीधी टक्कर है।
मायावती ने यह रणनीति अपनाई है कि पहले आकाश आनंद चुनाव में माहौल बनाएंगे उसके बाद मायावती खुद रैली में पहुंचेगी। १४ अप्रैल से मायावती सहारपुर, मेरठ बागपत, मुजफ्फरनगर, गौतमबुदधनगर, गाजियाबाद आदि जिलों में चुनाव प्रचार करने जा रही हैं। मायावती से दलित लामबंद होकर जुड़े हैं। मायावती जैसे जैसे प्रचार करेंगी तैसे तैसे बसपा का चुनाव मजबूत हो जाएगा।