राजग में सीट शेयरिंग फार्मूले से कई सांसदों का हो सकता है पत्ता साफ

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राम नरेश ठाकुर/अभिजीत पांडेय 

पटना । बिहार में केवल सीट शेयरिंग की घोषणा भर से एनडीए के कई सांसदों के टिकट पर संकट के बादल छा गए हैं। ऐसे नेताओं को या तो किसी दूसरी तरह सेट किया जाएगा या फिर इनका पत्ता कट सकता है।

ऐसे सांसदों मे शिवहर से बीजेपी सांसद रमा देवी ,
गया से जेडीयू सांसद विजय कुमार मांझी,
काराकाट से जेडीयू सांसद महाबली सिंह ,
नवादा से सांसद चंदन सिंह ,हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस , समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज , वैशाली से सांसद वीणा देवी , खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर के नाम शामिल हैं। जिनका
गठबंधन से या तो टिकट कट गया है या पत्ता साफ होने वाला है।

गौरतलब है कि भाजपा ने अपनी परंपरागत शिवहर लोकसभा सीट जेडीयू को दे दी है. इस तरह इस सीट से तो अब भाजपा सांसद रमा देवी का पत्ता तो कट ही गया. अब यह भाजपा पर निर्भर करता है कि वह रमा देवी को कैसे सेट करती है या कोई और जिम्मेदारी देती है.

नवादा सीट भाजपा के खाते में आ गई है। अब भाजपा यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। अभी तक नवादा सीट लोजपा के खाते में थी और चंदन सिंह 2019 में यहां उम्मीदवार चुने गए थे।लोजपा को एनडीए में एक भी सीट नहीं दी गई है। संभावना है कि पशुपति कुमार पारस अगर महागठबंधन में जाते हैं तो वहां से चंदन सिंह एक बार फिर ताल ठोक सकते हैं.

काराकाट सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह ने रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था. इस चुनाव में यह सीट उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को मिल गई है।
गया लोकसभा सीट इस बार जीतनराम मांझी की पार्टी को दी गई है। पिछली बार इस सीट से जेडीयू के ही विजय कुमार ने मांझी को बुरी तरह हराया था । अब यह सीट मांझी के पास चली गई है।
चिराग पासवान की पार्टी को 5 सीटें दी गई हैं-वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई।
वैशाली सीट पर पिछली बार लोजपा की वीणा देवी ने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था। जिन्होंने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत की थी और बाद में वापस आ गई है।

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