वर्ण जात को छोड़कर, भीतर भरिये ज्ञान
ये है मनु की साधना, यही है मनु विधान
पंडित होते कर्म से, क्यों हो जात प्रधान
सच ये मनु ने है कहा, समझे सही विद्वान
सच को सच में देखिये, मन की आँखें खोल
मनु कर्मों से है बना, नहीं जात से तोल
मानवता मत मारिये, राजनीति के मंच
प्यार-प्रेम मनु भावना, व्यर्थ है छल प्रपंच
कर्मों से है मनु बने, कर्मों से सब होय
बीज पड़े है जो धरा, वैसा ही फल तोय
शास्त्रों से अब सीखिए, बात बस यही एक
हम मनु संतान है, बनना हमको नेक
होते सौरभ दोगले, तन मन से है भ्रष्ट
कमियां मनु में देखते, रहे भोगते कष्ट
डॉ. सत्यवान सौरभ