Maharashtra Politics Crisis News : शिवसेना में अख्तियार किया जा रहा आंदोलन का रास्ता
एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बगावत से पैदा हुई यह Maharashtra Politics Crisis News ही है कि उद्धव ठाकरे के हाथ से उनकी सरकार और उसके विधायक तो लगभग निकल ही चुके हैं। कहीं संगठन भी न निकल जाये। यह सब वजह है कि अब उद्धव ठाकरे टीम शिवसेना के संगठन को बचाने में लग गई है। उद्धव ठाकरे ने बगावत का विरोध करने के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। शुक्रवार को मातोश्री के बाहर भारी संख्या में शिवसेना समर्थक जुटे। इन समर्थकों ने पोस्टरों पर लिखवा रखा था कि महाराष्ट्र में मोदी का बुलडोजर नहीं चलेगा।
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Uddhav thackrey का जिला प्रमुखों और संपर्क प्रमुखों के साथ वर्चुवल बैठक करना मतलब संगठन को संभालने का प्रयास है। उद्धव ठाकरे के लिए यह बड़ी परेशानी है कि उनके लिए शिंदे और बागी विधायक तो चुनौती है ही साथ ही उन्हें अपने चचेरे भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से भी निपटना है। दरअसल महाराष्ट् के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहे है। यह महाराष्ट्र राजनीति को लेकर .
उद्धव ठाकरे भले ही बागियों के खिलाफ सख्ती बरत रहे हों, Uddhav Thackrey News में भले ही उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर से बागियों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की हो। एकनाथ शिंदे समेत 12 बागियों के खिलाफ व्हिप का उल्लंघन करने का आरोप लगाया हो पर वह भी जानते हैं कि मामला उनके हाथ से निकल चुका है।
यह महाराष्ट्र की राजनीति ही है यहां तक पहुंच चुकी है कि शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत यह कहने लगे हैं कि एकनाथ शिंदे गुट जो उन्हें चुनौती दे रहा है, उसे यह मालूम नहीं है कि हम अभी सड़कों पर नहीं उतरे हैं। उनका यह कहना कि इस तरह की लड़ाई या तो क़ानूनी रूप से जीती जाती है या फिर सड़कों पर उतरकर। Uddhav Thackrey News ये है कि अब शिवसेना बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाली है। दरअसल आंदोलन से संगठन को बांधे रखा जा सकता है। वैसे भी आंदोलन कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करता है।
इसे Maharashtra Political Crisis ही कहा जायेगा कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का हाल यह है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री और शिवसेना के नेता दादा भूसे भी अब बागी खेमे में शामिल हो गए हैं। चांदीवली से विधायक दिलीप लांडे के भी गुवाहाटी पहुँचने की ख़बरें हैं। संजय राउत का केंद्रीय मंत्री नारायण राणे पर शरद पवार को धमकाने के आरोप से लगता है कि इस प्रकरण में नारायण राणे पूरी तरह से लगे हैं। नारायण राणे भी किसी समय बाला साहेब के दाहिने हाथ माने जाते थे।
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दरअसल केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा था कि शरद पवार विधायकों को धमका रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे मुंबई आएंगे और स्वतंत्र रूप से मतदान करेंगे। राणे ने कहा है कि अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो पवार का घर जाना मुश्किल हो जाएगा। उद्धव ठाकरे के लिए यह सबसे शर्म की बात है कि शिवसेना में यह सबसे बड़ी टूट होगी। इस टूट से तो शिवसेना का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
बात यदि शिवसेना की टूट की करें तो 1991 में 8 विधायकों के साथ छगन भुजबल ने पार्टी छोड़ी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2005 में नारायण राणे ने 10 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ी थी। बीजेपी शिवसेना गठबंधन सरकार में उन्हें राजस्व मत्रालय का विभाग मिला था। राणे के नेतृत्व में भाजपा शिवसेना गठबंधन अक्टूबर 1999 के महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस राकांपा गठबंधन से हार गया।
इस Maharashtra Politics Crisis News में राणे और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच एक दरार का मामला उजागर हो गया था। अब जब राज्य सभा के बाद विधान परिषद चुनाव हुए तो एकनाथ शिंदे ने पार्टी से बगावत कर दी। शिवसेना की यह सबसे बड़ी टूट मानी जा रही है। शिंदे का दावा है कि उसके पास 40 विधायक हैं। मतलब शिवसेना के वजूद पर ही खतरा पैदा हो गया है।
-चरण सिंह राजपूत