इश्क़ ए लोकतंत्र !

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ऐ मेरे लोकतंत्र

तेरा इश्क़ भी

कितना अत्याचार करता है..

कभी जात के नाम पर तो

कभी रंग के साथ

सर ए राह छेड़-छाड़ करता है ..

ऐ मेरे लोकतंत्र

तेरा इश्क़ भी

कितना  शर्मसार करता है ..

कभी वोट के नाम पर तो

कभी धर्म के साथ

अक्सर बलात्कार करता है ..

ऐ मेरे लोकतंत्र

तेरा इश्क़ भी

कितना अत्याचार करता है ..

कभी जांच के नाम पर तो

कभी जिस्म के साथ

खुले-आम व्यापार करता है ..

ऐ मेरे लोकतंत्र

तेरा इश्क़ भी

कितना अत्याचार करता है ..

ऐ मेरे लोकतंत्र

तेरा इश्क़ भी ….

केएम भाई

 

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