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लालू प्रसाद ने बीजेपी को दे दिया बड़ा मुद्दा 

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विरोधियों को भारी पड़ता है मोदी पर व्यक्तिगत हमला  

नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में उतरने के बाद एक नैरेटिव सेट करते हैं। बीजेपी की खासियत यह है कि वह चुनावी सीजन में विपक्ष की चूक का फायदा उठाती है। विपक्षी नेता हर चुनाव से पहले ऐसी चूक कर जाते है, जिसका फायदा नरेंद्र मोदी सीना ठोककर उठा लेते हैं। पिछले चुनावों में ऐसी चूक मणिशंकर अय्यर, सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने की। बीजेपी को इस बार यह मौका लालू यादव ने दिया है।

नई दिल्ली/पटना। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को कथित तौर से ‘चायवाला’ कहा और कांग्रेस अधिवेशन में चाय बेचने की सलाह दी। उनके इस बयान से राजनीति में हंगामा मच गया और चुनाव की दिशा ही बदल गई। बीजेपी ने इस बयान के बाद पूरे देश में चाय पर चर्चा कैंपेन लॉन्च कर दिया। इसके साथ यह नैरेटिव फैला कि कांग्रेस गरीब परिवार के चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री पद पर नहीं देख सकती है। फिर आगे क्या हुआ, सभी जानते हैं। बीजेपी को पहली बार 282 सीटों पर जीत मिली और पीएम मोदी प्रधानमंत्री बने।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा बुलंद किया। राहुल गांधी अपनी चुनावी रैलियों में यह नारा दोहराते रहे। भाजपा ने इसके जवाब में ‘मैं हूं चौकीदार’ अभियान चला दिया। आम लोग भी ‘मैं भी चौकीदार’ की टोपी और शर्ट पहने नजर आए। मई 2019 के चुनावी नतीजे भी इतिहास में दर्ज हो गया। बीजेपी 303 सीटें जीतकर दोबारा केंद्र की सत्ता में पहुंची और नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को यह मौका बिहार के नेता लालू यादव ने दिया है।
 

कैंपेन तैयार था और लालू यादव ने मौका दे दिया

 

लालू यादव ने इंडिया गठबंधन की जन विश्वास रैली में नरेंद्र मोदी पर ताबड़तोड़ हमले किए। लालू यादव ने कहा कि ई मोदी क्या है? मोदी कोई चीज है क्या? ये नरेंद्र मोदी परिवारवाद पर हमला कर रहे हैं। अरे भाई, तुम बताओ न, तुमको कोई संतान नहीं हुआ। ज्यादा संतान होने वाले लोगों को बोलता है कि परिवारवाद है, परिवार के लिए लोग लड़ रहे है। तुम्हारे पास परिवार नहीं है और तुम हिंदू भी नहीं है। इस रैली में लालू यादव ने नरेंद्र मोदी के हिंदू होने पर भी सवाल उठाए, मगर बीजेपी ने इसमें से परिवारवाद को लपका।
इस कैंपेन के लिए पार्टी ने राहुल गांधी और कांग्रेस के बयान का इंतजार नहीं किया। बीजेपी के मंत्री, सांसद के साथ प्रचार तंत्र इस बयान तुरंत एक्टिव हुई और अगले 24 घंटे में ‘मोदी का परिवार’ कैंपेन शुरू हो गया। नरेंद्र मोदी ने भी अपनी रैलियों में परिवार का मुद्दा उठाया। सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी इस कैंपेन के लिए पहले ही तैयार थी, बस उसे मौके का इंतजार था। पिछले 10 साल में मितरों और भाइयों-बहनों के बाद उनका संबोधन परिवारजनों तक अगस्त में पहुंच गया था। लालकिले से उन्होंने ‘परिवारजनों’ के साथ ही देश को संबोधित किया था। इसके जरिये पीएम मोदी आम आदमी के घरों में नए पहचान से एंट्री ले चुके हैं।

गुजरात में भी नरेंद्र मोदी ने उठाया था चूक का फायदा

2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने अपने भाषणों में एक चूक कर दी। उन्होंने गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहा था। इसके बाद से गुजरात में चुनाव की हवा बदल गई। नरेंद्र मोदी ने मौत के सौदागर को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया और कांग्रेस बैकफुट पर आ गई। वोटिंग के पहले तक कड़े टक्कर में रही कांग्रेस 59 सीटों पर सिमट गई और नरेंद्र मोदी 117 सीटें जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बने। बीजेपी की कैंपेनिंग का असर विपक्ष को भारी पड़ता रहा है। मणिशंकर अय्यर के चायवाला और नीच वाले बयान को भी बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बनाया था। इसका असर यह रहा कि कांग्रेस उस चुनाव में 44 सीटों पर सिमट गई। 2019 में भी चौकीदार चोर है वाले कैंपेन के बाद बीजेपी को 21 सीटों का फायदा हुआ। इस बार बीजेपी 370 का टारगेट सेट कर चुनाव लड़ रही है।

बोल-बचन में चूक फायदा क्यों उठा ले जाते हैं नरेंद्र मोदी

एक्सपर्ट मानते हैं कि नरेंद्र मोदी के साथ एक खासियत है, कभी उनकी छवि पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा। चुनावी राजनीति में उतरने से पहले भी उन पर व्यक्तिगत गंभीर आरोप नहीं लगे। गुजरात के सीएम बने तो गोधरा दंगो की तपिश उन तक पहुंची, जिसमें वह बेदाग निकल गए। अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान वह विकसित गुजरात यानी गुजरात मॉडल को स्थापित करने में सफल रहे।
लोगों के बीच यह संदेश गया कि एक ईमानदार व्यक्ति विकास के पैमाने पर भी खरा उतर सकता है। 12 साल तक मुख्यमंत्री और 10 साल के प्रधानमंत्री वाले कार्यकाल में विपक्ष उन्हें करप्शन जैसे मुद्दे पर नहीं घेर सका। दूसरी ओर, उनके खिलाफ बोलने वाले नेता परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जेल तक जा चुके हैं। विपक्ष के नेताओं की एक ऐसी लंबी लिस्ट है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है। जनता के बीच नरेंद्र मोदी की छवि उन्हें विश्वसनीय बना देती है।