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क्षमा भाव मन में रहे

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क्षमा करे बलवान ही, कर के हृदय विशाल।
छोटी -छोटी भूल को, रखे न सौरभ पाल॥

क्षमा कष्ट हरती सदा, होता  बेड़ा  पार।
परहित में जीते रहो, करके यत्न  हजार॥

आता है व्यक्तित्व पर, सौरभ तभी निखार।
गलती हो जाए अगर, कर लो भूल सुधार॥

क्षमा मुझे कर दीजिये, अंश प्रभु का मान।
सत्य क्षमा के  भाव  है, ईश -कृपा वरदान ॥

क्षमा  बने  संजीवनी, करले  भूल  सुधार।
छोटी छोटी बात पर, क्यों करते हो रार॥

दया प्रेम करुणा क्षमा, जीवन के श्रँगार।
चित्त शुद्ध हो प्रेम हो, रहते नहीं विकार॥

प्रेम, सत्य, ममता  क्षमा, निर्मल है आधार।
करो दया हर जीव पर, सौरभ छोड़ विकार॥

क्षमा भाव मन में रहे, करे  तत्व  की खोज।
सदा सत्य वाणी मधुर, भरे मनुज में ओज॥

गलती कर माँगे क्षमा, करे बैर का अंतl
क्षमा भाव यदि हो हृदय, जीवन बने बसंत॥

डॉ. सत्यवान सौरभ