चुनाव में हार के बाद RLD की ओवरहालिंग में जुटे जयंत, सभी प्रकोष्‍ठ और इकाइयां भंग: 21 को बुलाई विधायकों की बैठक  

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द न्यूज 15

लखनऊ । यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में हार के बाद राष्‍ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जयंत चौधरी पार्टी की ओवहालिंग में जुट गए हैं। जयंत ने तत्‍काल प्रभाव से सभी प्रकोष्‍ठों और इकाइयों को भंग कर दिया है। इसके साथ ही 21 मार्च को विधायकों की बैठक बुलाई है।
बताया जा रहा है कि जयंत चौधरी यूपी चुनाव नतीजों के बाद से ही पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा में जुटे हैं। उन्‍होंने तत्‍काल प्रभाव से पार्टी की सभी इकाइयों और प्रकोष्‍ठों को भंग करते हुए बड़े फेरबदल के संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि वह जल्‍द ही नए पदाधिकारियों के नामों का ऐलान करेंगे। इसके साथ ही रालोद की तरफ से बताया गया है कि 21 मार्च को पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होगी। बैठक में जयंत चौधरी मौजूद रहेंगे। यह बैठक पार्टी के लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय पर बुलाई गई है।

रालोद ने जीती हैं आठ सीटें : जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद जो 2017 के चुनावों में एक सीट पर सिमट गई थी, इस बार 33 सीटों पर लड़ी और उनमें से आठ पर जीत हासिल की। इस लिहाज से देखा जाए तो रालोद की सीटों में इजाफा हुआ है लेकिन उसे जितना विश्‍वास था वैसी सफलता नहीं मिल सकी है। किसान आंदोलन और खासकर लखीमपुर हिंसा के बाद उपजे हालात में सपा-रालोद गठबंधन इस बार पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में प्रचंड जीत की उम्‍मीद लगाए बैठा था लेकिन भाजपा ने धुआंधार प्रचार अभियान, प्रदेश और केंद्र सरकार की उपलब्धियों और अपने रणनीतिक कौशल से उसकी उम्‍मीदों पर पानी फेर दिया।
एक चुनाव के अंतर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जनाधार के ग्राफ में ढाई गुना की गिरावट आई है। ग्रामीण सीटों पर बसपा के वोट आधे रह गए हैं। वहीं पहले से कमजोर शहर की सीटों पर वोट बैंक एक चौथाई बचा है। बीते पांच वर्षों में राजधानी लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में पार्टी का बेस वोट 4.23 लाख से घटकर 1.66 लाख पर आ गया है। 2007 विधानसभा चुनाव से बसपा का वोट बैंक लगातार बढ़ता जा रहा था। सोशल इंजीनियरिंग के सहारे 2007 में सत्ता में आई बसपा के पास उस समय 2.65 लाख वोटर थे। इतने ही वोट में महोना और सरोजनीनगर सीट पर पहली बार पार्टी के विधायक जीते। मोहनलालगंज, मलिहाबाद और कैंट सीट पर पार्टी दूसरे नम्बर पर रही। इसके बाद 2012 चुनाव में बीकेटी और सरोजनीनगर सीट पर पार्टी दूसरे नम्बर पर खिसक गई। मगर वोटर बढ़कर 3.67 लाख हो गए। 2017 में पार्टी बीकेटी, मोहनलालगंज में दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद भी पार्टी का कोर वोटर जुड़ा रहा। वोटरों की संख्या बढ़कर 4.23 लाख हो गई।
एक दशक में पांच गुना सिकुड़ गई कांग्रेस : कांग्रेस का वोट बैंक लगातर सिकुड़ रहा है। 2012 में कांग्रेस ने औसत प्रदर्शन किया। एक सीट जीती और एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही। पार्टी को 2.84 लाख वोट मिले। एक दशक बाद 2022 में कांग्रेस को नौ विधानसभा में मात्र 53827 वोट मिले हैं। यानी वोटों में पांच गुना की कमी आई है। चार सीट पर तो तीन हजार वोट भी नहीं मिले हैं। सभी प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई है।
पार्टी से अधिक तो निर्दलीय मिलते थे वोट :  कांग्रेस पार्टी से सरोजनीनगर से लड़ने वाले रुद्र दमन सिंह को इसबार 19711 वोट मिले। जबकि 2017 में रुद्र ने निर्दलीय लड़कर 20607 वोट हासिल किए थे। 2012 में इसी सीट पर आरएसबीपी के प्रत्याशी के तौर पर 41386 वोट पाकर तीसरे स्थान हासिल किया था।

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