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Jawaharlal Nehru Death: भारत के पहले प्रधानमंत्री मरने के बाद भी उनकी इतनी चर्चा क्यों?

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Jawaharlal Nehru Death

Jawaharlal Nehru Death: मरने के 50 साल बाद भी भारत के पहले प्रधानमंत्री जितनी चर्चा में रहते है उतनी शायद ही किसी अन्य देश के प्रधानमंत्री को चर्चा में रहने का सौभाग्य मिला हो। बीते 27 मई को उनकी पुण्यतिथि (Jawaharlal Nehru Death Anniversary) के मौके पर सभी ने उनको याद किया। लेकिन नेहरू को केवल इन मौकों पर याद नही किया जाता बल्कि इतिहास में पीछे जाकर वर्तमान की स्थिति का कनेक्शन नेहरु से निकाला जा रहा यही नही नेहरू सोशल मीडिया में गलतियों और चरित्रहीनता के बांड एंबेसडर बन चुके हैं।

दशको से भारत के पहले प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए भरसक प्रयास किये गए, किताबे, वीडियो, लेख, फेसबुक, ट्विटर हर जगह नेहरू को चरित्रहीन बताने वाली सामग्री मिल जाएंगी। ये बदनाम करना वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने से अलग है, बात ये है कि आप नेहरू की नीतियों पर उन्हे घेर सकते हैं 58 साल बाद (Jawaharlal Nehru Death) भी लेकिन उनको चरित्रहीन बताकर किस राजनीतिक दल को फायदा हो रहा इतना तो आप समझ ही सकते हैं।

पिछले कुछ सालों इस बात पर भी कई बार जोर दिया गया कि अगर देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरु की जगह पटेल होते तो देश बहुत आगे तक जाता। नेहरू को पटेल के बरक्स खड़े करके देखना भी उनके रिश्तों को मजाक बनाकर देखा जाने जैसा हैं। पहले के नेताओं में तमाम असहमति के बाद भी एक दूसरे के प्रति सम्मान व्यक्त करने का परंपरा रही थी इसके अलावा देश में पहली बार आम चुनाव 1952 में हुए तो पटेल का मरोपरान्त प्रधानमंत्री बनना कैसे संभव था?

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या फिर प्रधानमंत्री जी का चुनाव के दौरान रैली में भगत सिंह जेल में बंद रहने के दौरान से न मिलने जाने पर कांग्रेस को घेरना। क्या प्रधानमंत्री पटेल से भी यही सवाल कर रहे थे? क्योंकि तब पटेल भी उसी कांग्रेस का हिस्सा थे? जबकि लोगों ने प्रधानमंत्री के भाषण के बाद ही लोगों ने पंडित नेहरू के भगत सिंह से मिलने के साक्ष्य सोशल मीडिया में लेकर तैराने लगे। प्रधानमंत्री जी का 58 साल बाद आजादी की लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस का आज की परिवार वाद से ग्रसित कांग्रेस की तुलना करना कितना सही? उनकी पुण्यतिथि (Jawaharlal Nehru Death Anniversary) के दिन हम उन्हे क्या एसे याद करें

आपने नेहरू को सिगरेट पीते जरूर देखा होगा बेसक सिगरेट एक खराब वस्तु है और आदत भी, सभी को उससे दूरी बनानी चाहिए लेकिन यहां नेहरू फस गए। अगर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की पार्टी आज के समय विपक्ष में होती तो आप भी जरुर उनकी भी सिगरेट पीने के चलते चरित्रहीन होने की पोस्ट से गुजर चुके होते। या फिर आइंसटीन को भी ये सौभाग्य प्राप्त हो चुका होता।

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नेहरु और नेहरु की बहन की तस्वीर अक्सर आपने सोशल मीडिया पर तैरती देखीं होगी, इसके अलावा उनकी भांजी की तस्वीरें भी देखी होगी लेकिन किसी और ही कंटेक्ट के साथ उनको चरित्रहीन बताते रहना

भारत के पहले प्रधानमंत्री और उनकी बहन विजय लक्ष्मी

ऐसा नही पंडित नेहरु आलोचना से परे है हम उनकी नीतियों और राजनीतिक जीवन में रहते हुए लिए गए निर्णयों की समीक्षा कर सकते है लेकिन जीवन भर में 9 साल जेल में रहने के बाद भारत का प्रधानमंत्री बने नेहरु की तुलना इस तरीके से करना कितना सही?

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आप नेहरु द्वारा लिखी 600 पेज की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में उनकी कही बातों (Jawaharlal Nehru Quotes) को पढ़ सकते हैं या राजमोहन गांधी द्वारा लिखी पटेल की जीवनी जिसमें उनके और पटेल के रिश्तों के बारे में समझाया गया है एक प्रमाण के साथ।

पण्डित नेहरु चीन से हार के बाद कमजोर और बीमार से रहने लगे थे जिसके बाद नेहरु को सार्वजनिक जीवन में उतना ऊर्जावान नही देखा गया 27 मई 1964 को उन्होने अंतिम सांस ली(Jawaharlal Nehru Death), नेहरु की अंतिम यात्रा में करीबन 20 लाख लोग दिल्ली का सड़को पर इकट्ठा हुए अपने प्रधानमंत्री को अंतिम विदाई देने के लिए।