“”बड्स एक्ट 2019″” कानून इस समय पूरे देश में लागू है और प्रत्येक राज्य का लोकल का “”पी० आई० डी० एक्ट 2016″” कानून प्रत्येक राज्य में लागू है ।इन्हीं कानून के अन्तर्गत प्रत्येक जमाकर्ता की चिटफंण्ड कंम्पनियों में डूबी हुई उनकी मेहनत की कमाई ,उनकी खून पसीने की गाढ़ी कमाई का 2 से 3 गुना तक भुगतान होना है । इसी बड्स एक्ट 2019 कानून के अन्तर्गत अपने जिले जालौन की पांचों तहसीलों में पीड़ितों से उनके भुगतान आवेदन के दावे लिए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज जालौन जिले के ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार (तप जप) के जिलाध्यक्ष हरीकिशुन सिंह करण मौखरी जी ने अपनी जिला की कार्यकारिणी के सदस्यों एवं नगर अध्यक्ष ,नगर उपाध्यक्षों के साथ आज जिलाधिकारी को एक लिखित में ज्ञापन दिया।
उन्होंने बताया कि माधौगढ़ में बिना किसी की अनुमति के यह नोटिस लगा दिया गया है कि भुगतान आवेदन फार्म जमा करने की अन्तिम तिथि 28 फरवरी 2023 है ।जबकि “”बड्स एक्ट कानून 2019″” में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके अंतर्गत भुगतान आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निकल जाए और उस तिथि के बाद पीड़ितों के भुगतान आवेदन न लिए जाएं। जिलाध्यक्ष जी ने बताया कि उन्होंने जो ज्ञापन दिया है उसमें कोच तहसील की समस्या को भी उन्होंने उजागर किया है कि कोंच तहसील में टोकन सिस्टम चलाया जा रहा है और वहां दलालों का बोलबाला है। उन्होंने बताया कि जैसे यदि कोई महिला अपना और अपने पति का आवेदन लेकर के आती है तो महिला का आवेदन तो जमा कर लिया जाता है लेकिन उसके पति का आवेदन नहीं जमा किया जाता है ।उसको यह कह कर के वापस कर दिया जाता है कि जाओ अपने पति को भेजना। तब तुम्हारे पति का भुगतान आवेदन जमा होगा ।मजबूरी में वह बेचारी असहाय महिला दलालों और बिचौलियों का सहारा ढूंढती है और फिर दलाल बिचौलिये ढाई – ढाई सौ रुपए लेकर के आवेदन जमा करवा रहे हैं ।इसी तरह से यदि कोई पुत्र, अपना स्वयं का और अपने पिता का भुगतान आवेदन लेकर के आता है तो पुत्र का आवेदन तो जमा कर लिया जाता है लेकिन पिता का आवेदन जमा नहीं किया जाता है ।उससे यह कह दिया जाता कि जाओ अपने पिताजी को खुद भेजना ।तब उनका भुगतान आवेदन जमा होगा ।मजबूरी में वह बेचारा पुत्र भी दलालों और बिचौलियों का सहारा ढूंढता है और ढाई सौ – दो सौ रुपए दे करके अपना भुगतान आवेदन जमा करवाता है। जिलाध्यक्ष जी ने बताया कि आज के ज्ञापन में उन्होंने एक समस्या और प्रमुख रूप से रखी है कि जो बेचारे मजदूरी करने वाले लोग हैं ,पानी पुरी का धंधा करने वाले लोग हैं ,वह किसी दूसरे प्रांतों में रह करके अपनी आजीविका चला रहे हैं ।
अपने बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं ।जब उन्हें पता चला है कि उनकी मेहनत पसीने की, उनकी गाढ़ी कमाई ,जो चिटफंड कंपनियों में डूब चुकी थी उनके भुगतान आवेदन हर तहसील में लिए जा रहे हैं तो उन्होंने भी इसी आस में अपने घर की ओर चलना प्रारम्भ कर दिया है ।किसी का रिजर्वेशन दो दिन बाद का है ,कोई आज रास्ते में आ रहा है। किसी का रिजर्वेशन 4 दिन बाद का है ।लेकिन यदि वह लोग अपना काम धंधा छोड़ कर के अपने घर आ गए तो यदि उनका आवेदन जमा नहीं होगा तो उन लोगों को निराशा ही हाथ लगेगी ।इसलिए उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि अपने जालौन जिले की प्रत्येक पांचों तहसीलों में भुगतान आवेदन खिड़की अनवरत रूप से चालू रखी जाए और कोच तहसील में इस भ्रष्ट सिस्टम को बंद किया जाए जिससे कि बिचौलियों और दलालों का सहारा ना लेना पड़े।