बालिकाओं के विकास पर ध्यान देना जरूरी : डॉ. ललित

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बालिकाओं के विकास
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शिक्षित होने भर से मानसिकता नहीं बदलती : डा. योगेश

निजी चिकित्सकों ने कहा, लिंग परीक्षण की मांग करने वालों के खिलाफ भी हो कार्रवाई

 

द न्यूज 15 

नोएडा । किसी ने खूब कहा है- “रोशनी जरूरी नहीं कि सिर्फ चिरागों से हो, बेटियां भी घर में उजाला कर देती है।” सोमवार को नोएडा सेक्टर 39 स्थित कोविड अस्पताल में राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर चर्चा की।

इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार ने कहा- बालिकाओं के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन पर ध्यान देने की जरूरत है। जब तक इन तीनों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक किसी भी तरह के विकास की बात अधूरी है, चाहे वह सामाजिक विकास हो अथवा आर्थिक। उन्होंने कहा हमारी बेटियां, हमारी पहचान हैं। कन्या भ्रूण हत्या मानवता पर कलंक है इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा कोई भी काम केवल कानून के बल पर या जोर-जबर्दस्ती नहीं कराया जा सकता, इसके लिए जनजागरूकता  और मानसिकता में बदलाव की जरूरत है। धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ भी रही है। उन्होंने कहा- जनपद में कोई भी निजी चिकित्सक और अल्ट्रासाउंड संचालक ऐसा नियम विरुद्ध कोई काम नहीं करें, जो पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीकि अधिनियम के खिलाफ हो। उन्होंने कहा बालकाओं के बिना समाज एवं घर परिवार वीरान हैं।

पीसीपीएनडीटी की जिला समन्वयक मृदुला सरोज ने बालिका दिवस को मनाने का मकसद बताया। उन्होंने कहा पीसीपीएनडीटी एक्ट बनने से काफी हद तक कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगी है, पर अभी लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा अल्ट्रासाउंड मशीन बनाने का मकसद लोगों को स्वास्थ्य सहुलियत प्रदान करने का था, लेकिन इस मशीन का दुरुपयोग लिंग परीक्षण के रूप में ज्याद हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा बालिकाएं किसी भी मामले में बालकों से कमतर नहीं हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा अच्छा पोषण, अच्छा माहौल और आत्म निर्भर बनाने की जरूरत है।

रेडियोलॉजिस्ट डा. योगेश शर्मा ने कहा बालिकाओं को लेकर समाज में बदलाव की जरूरत है। केवल शिक्षित होने भर से मानसिकता नहीं बदलती। बहुत से ऐसे लोग हैं जो पढ़े लिखे होने के बाद भी लड़कों और लड़कियों में भेदभाव करते हैं।

कार्यक्रम में मौजूद कुछ निजी चिकित्सकों और रेडियोलॉजिस्ट ने कहा लिंग- परीक्षण के मामले में केवल चिकित्सकों और अल्ट्रा साउंड करने वालों के खिलाफ ही कार्रवाई से काम नहीं चलेगा, इसमें उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये जो खुद लिंग परीक्षण की मांग करते हैं।

गौरतलब है राष्ट्रीय बालिका दिवस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उपलब्धि की याद दिलाता है। 24 जनवरी को इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थीं, इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2009 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की थी। बालिका दिवस मनाने का मकसद समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना है।

कार्यक्रम में डा. योगेश शर्मा, डा. रवि पुष्करण, डा, देवेन सेठ, डा. ममता साहू, डा. राजश्री जसुजा, डा. तनुप्रिया, डा. पार्थ विश्वास, डा. अजय वर्मा, डा. आकांक्षा बत्रा, डा. विजय गोयल, डा. अलका मीना, रविना, कोमल मनीषा, छाया, कमल, आशुदीप, संध्या यादव सहित स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।

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