बिहार में टूटने जा रहा है महागठबंधन ?

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चरण सिंह 
क्या बिहार में महागठबंधन टूटने जा रहा है ? क्या बिहार में कांग्रेस स्ट्राइक रेट पर टिकट बंटवारे पर पड़ेगी ? क्या बिहार में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने जा रही है। कांग्रेस के सह प्रभारी शाहनवाज आलम के बयान से तो ये ही लग रहा है। शाहनवाज आलम ने खगड़िया में कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा है कि महागठबंधन विचारधारा के आधार पर बना है न कि कोई छोटा भाई और न कोई बड़ा भाई। टिकटों का बंटवारा स्ट्राइक रेट से होगा। मतलब बिहार में कांग्रेस ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। उधर आरजेडी प्रवक्ता ऋषि मिश्रा ने शाहनवाज आलम को यह जताते हुए कि उनके बयान की कोई अहमियत नहीं है। उन्होंने कहा है कि टिकटों के बंटवारे में हाईकमान तय करेगा। दरअसल लोकसभा चुनाव में आरजेडी २३ सीटों पर लड़ी थी और उसे ४ सीट मिली थी, ऐसे ही कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसने 3 सीटें जीती थी। ऐसे ही  2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी उसने 75 सीटें जीती और कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और 19 सीटें जीती। ऐसे में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट ठीकठाक है। दरअसल जिस तरह से लालू प्रसाद ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व के लिए लालू प्रसाद ने टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी के नाम पर मुहर लगाई और कहा कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की अगुवाई करने दी जाए। लालू प्रसाद यादव के इस बयान से कांग्रेस में गुस्सा देखा जा रहा है। शाहनवाज आलम का बयान ऐसे ही नहीं है उनसे से तो यह बुलवाया गया गया। कांग्रेस अब अपने दम पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है। अखिलेश यादव ने उप चुनाव में जब कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी तो कांग्रेस ने रिएक्शन में संसद में अखिलेश यादव के दूसरे सांसद अवधेश को पिछली पंक्ति में पहुंचा दिया। कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय मिल्कीपुर उप चुनाव को लेकर कह रहे हैं उनकी पार्टी उप चुनाव नहीं लड़ेगी। 2027 का चुनाव लड़ा जाएगा और इस बार कांग्रेस सरकार बनाएगी। ऐसे ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब कांग्रेस में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय वह अकेले दम पर चुनाव लड़ने जा रही है। वैसे ही क्षेत्रीय दल कांग्रेस के लचीलेपन का फायदा उठा रहे हैं। प. बंगाल में टीएमसी ने कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी थी तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस को कम सीटें लड़ने को दी। उत्तर प्रदेश में जहां लोकसभा चुनाव में 17 सीटें लड़ने को दी थी। वह भी अंत समय में जब सपा मुखिया अखिलेश यादव को समझा दिया गया कि यूपी का मुसलमान राहुल गांधी को अपना नेता मान रहा है। जम्मू कश्मीर में भी उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही व्यवहार किया। अब कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि गठबंधन से उसे नुकसान और क्षेत्रीय दलों को फायदा हुआ है।

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