सहारा सेबी पर तो सेबी सहारा पर निकाल रहा पैसा, भुगतान को लेकर सड़कों पर हैं निवेशक और एजेंट
पूरे देश में हो रहा सहारा कार्यालयों का घेराव, पैसा न मिलने पर आत्महत्या कर रहे निवेशक और एजेंट
सहारा सेबी के खिलाफ तो निवेशक और एजेंट सहारा के खिलाफ कर रहे आंदोलन
सहारा कर्मचारियों को कई-कई महीने में मिल रहा वेतन, रिटायरमेंट होने पर भी पैसा न मिलने का रोना
चरण सिंह राजपूत
इसे सहारा ग्रुप की बेशर्मी कहें या या फिर सेबी की कड़ाई या फिर शासन-प्रशासन का निकम्मापन। इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि विवाद सहारा और सेबी का है और पिस रहे हैं सहारा के निवेशक, एजेंट और कर्मचारी। सहारा सेबी का हवाला देकर न केवल निवेशकों, एजेंटों को पैसा लौटा रहा बल्कि कर्मचारियेां को भी उनका वेतन देने को तैयार नहीं। स्थिति यह है कि सहारा में कर्मचारियों का कई-कई माह का बकाया है। कितने कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया पर उनका भुुगतान नहीं हो पाया है। ऐसे भी काफी कर्मचारी हैं जिनकी सेवानिवृत्ति होने के बावजूद उनका बकाया भुगतान नहीं हो पाया है।
सहारा में परेशानियों से जूझते जूझते कितने कर्मचारियों, निवेशकों और एजेंटों ने आत्महत्या तक कर ली है। सहारा-सेबी और निवेशकों-एजेंटों की यह लड़ाई ऐसी है कि जहां सहारा सेबी पर अपना पैसा बताकर आंदोलन कर रहा है तो सेबी सहारा पर 9 साल में आधा ही पैसा जमा करने का आरोप लगा रहा है। निवेशक-एजेंट और कर्मचारी सहारा पर अपना पैसा बता रहे हैं। सहारा पर निवेशकों का एक लाख २५ हजार करोड़ रुपये बकाया बताया जा रहा है। सहारा में काम कर रहे कर्मचारियों का भी लाखों करोड़ रुपये बकाया सहारा गुप पर है। बताया जाता है कि सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय का पूरा परिवार बार्सेलोना में जाकर बस गया है। वहां पर भी इन लोगों ने अपना कारोबार फैला लिया है। सुब्रत राय के बाद दूसरे नंबर के निदेशक माने जाने वाले ओपी श्रीवास्तव ने अपने हिस्से का पैसा बाबा राम देव की पतंजलि पीठ में लगा दिया है। ओपी श्रीवास्तव का बेटा बाबा रामदेव के साथ मिलकर कारोबार कर रहा है। सहारा के बारे में कहा जाता है कि सहारा ने गोरखपुर से मात्र दो हजार रुपये में कारोबार शुरू किया था। सहारा समय-समय पर १० लाख से ऊपर का परिवार और दो लाख करोड़ से ऊपर की चल और अचल संपत्ति बताता रहा है। सहारा सेबी विवाद जगजाहिर हो चुका है। यह वही विवाद है जिसको लेकर सहारा ग्रुप निवेशकों और एजेंटों को भ्रमित करता रहता है। सहारा सेबी पर निवेशकों को पैसा न देने का आरोप लगा रहा है तो सेबी सहारा पर पूरा पैसा न देने का। अब मामला यहां तक पहुंच गया है कि जहां सहारा ने सेबी को कटघरे में खड़ा कर आंदोलन करना शुरू कर दिया है वहीं सेबी ने ९ साल में आधा ही पैसा देने का आरोप सहारा पर लगाया है। उधर सहारा पर ठगी का आरोप लगाकर प्रभावित निवेशक और एजेंट सहारा मैनेजमेंट के खिलाफ सड़कों पर हैं। सहारा ने बाजार नियामक सेबी पर उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये रखने का आरोप लगाया है। सहारा का कहना है कि सेबी ने बुधवार को अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि उसने सहारा के निवेशकों को सिर्फ 129 करोड़ रुपये लौटाये हैं। सहारा ने कहा कि सेबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके (सहारा) द्वारा सेबी में जमा कराई गई रकम 31 मार्च, 2021 को ब्याज समेत 23,191 करोड़ रुपये थी। सहारा ने यह भी कहा कि उसके आकलन के अनुसार सहारा-सेबी खाते में जमा कराई गई रकम ब्याज समेत 25,000 करोड़ रुपये है। सहारा का कहना है कि सेबी ने अनुचित रूप से सहारा और उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये अपने पास रखे हैं। सहारा ने कहा, “पिछले 9 साल में 154 अखबारों में 4 बार विज्ञापन देने के बाद सिर्फ 129 करोड़ रुपये का भुगतान ही सहारा के निवेशकों को किया गया है। सहारा का कहना है कि अप्रैल, 2018 में सेबी ने यह स्पष्ट किया था कि वह जुलाई, 2018 के बाद किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका मतलब है कि सेबी के पास कोई दावेदार नहीं बचा है और सहारा की तरफ से जमा कराई गई 25,000 करोड़ की रकम सेबी ने अपने पास अनुचित रूप से रखा है।सहारा का कहना है कि उसने सहारा के निवशकों को 129 करोड़ रुपये लौटाए हैं। उसने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को नौ वर्षों में निवेशकों को यह राशि लौटाई है। सेबी ने बताया था कि निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। सेबी ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपये के धन वापसी के दावे थे। सेबी ने बताया था कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपये, जिसमें 66.35 करोड़ रुपये मूलधन और 62.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को वापस भेज दिया गया है। सहारा ने 9 साल बाद भी आधी ही रकम जमा की : उधर सेबी की वित्तीय वर्ष 2021 की रिपोर्ट के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नियामक ने अभी तक 129 करोड़ ही बांडधारकों को वापस किए हैं, जबकि वो 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के एस्क्रो अकाउंट का संचालन कर रहा है। दरअसल भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड यानी सेबी (Sebi) ने खुलासा किया है कि सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 9 साल बाद भी आधी ही रकम अभी तक जमा की है। सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2012 के आदेश के बाद सहारा समूह को 25,781 करोड़ रुपये जमा करने थे, लेकिन उसमें से उसने महज 15 हजार करोड़ रुपये ही अभी तक जमा कराए हैं. सेबी की वित्तीय वर्ष 2021 की रिपोर्ट के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नियामक ने अभी तक 129 करोड़ ही बांडधारकों को वापस किए हैं, जबकि वो 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के एस्क्रो अकाउंट का संचालन कर रहा है।सेबी से जब सवाल किया गया कि इतनी बड़ी रकम का वो क्या कर रहा है, तो उसके चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि वह तो सिर्फ 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।
कंपनी को कोर्ट के आदेश के अनुसार अभी भी पूरी रकम जमा कराना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2012 में निवेशकों को लौटाए गए धन के अलावा जितना भी सहारा समूह को चुकाने थे, वो अभी तक नहीं पाया है। त्यागी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश कहता है कि जो भी वसूली बाकी है या भुगतान किया जाना है। त्यागी ने ये भी कहा कि सेबी ने कई बार विज्ञापन देकर निवेशकों और बांडधारकों से आगे आकर अपना दावा पेश करने को कहा है, उन लोगों से भी जानकारी मांगी गई है, जिन्हें पहले ही उनका भुगतान मिल चुका है।सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, उसके पास मार्च 2021 तक, सहारा समूह के बांडहोल्डर्स का 23,291 करोड़ रुपये जमा है, यह पैसा एक एस्क्रो अकाउंट में रखा गया है. इसमें 15,473 करोड़ रुपये वसूला गया है और बाकी ब्याज की राशि है। वैंसे भी गत दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि 30 नवंबर 2021 तक सहाराह समूह की रियल एस्टेट इकाई सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन और उसकी हाउसिंग फाइनेंस इकाई सहारा इनवेस्टमेंट कारपोरेशन, प्रमोटरों और निदेशकों ने अभी तक 15,485 करोड़ रुपये जमा किए हैं. जबकि उन्हें 25,781 करोड़ रुपये उसे मूलधन के तौर पर जमा करने है। दरअसल सेबी और सहारा मामले की सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2012 में अपने आदेश में सहारा की दो कंपनियों के लगभग तीन करोड़ निवेशकों को ब्याज सहित धन वापस करने के लिए कहा था।