रामनरेश
पटना। राजद ने एमवाई से इतर जातियों पर फोकस कर अतिपिछड़ा वोट को पुनः प्राप्त करने के लिए संगठन में उनकी भागीदारी 28 प्रतिशत तय की है।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में आजमाया गया फॉर्म्युला अब बिहार में आजमाने की तैयारी दिख रही है। गौर करने वाली बात यह है कि यह एक समान वोटबैंक वाली पार्टी माने जाने वाली राष्ट्रीय जनता दल यूपी के समाजवादी पार्टी वाला फॉर्म्युला अपनाती दिख रही है। इसमें मुस्लिम+यादव को तवज्जो देने के बजाय अन्य पिछड़ी जातियों पर फोकस करना है।
आरजेडी से मिली जानकारी के अनुसार आगामी विधान सभा चुनाव में धरातल पर आरजेडी के कुल 50 सांगठनिक जिला इकाइयां अपनी रणनीति बनाने में अभी से लगी है। जिन 17 जिलों में अध्यक्ष का पद अति पिछड़ा को आरक्षित है, उनमें वैशाली, मुजफ्फरपुर महानगर, मधुबनी, दरभंगा महानगर, समस्तीपुर, बेगूसराय महानगर, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, पूर्णिया महानगर, मुंगेर, भागलपुर महानगर, बांका, बिहारशरीफ महानगर, जहानाबाद एवं पटना महानगर शामिल है।
वहीं नवगछिया, अरवल, कैमूर, नालंदा, अररिया, सिवान और बगहा एससी-एसटी के लिए आरक्षित है। प्रखंडों-जिलों में अध्यक्ष का पद अति पिछड़ा और एससी-एसटी के लिए 45 प्रतिशत आरक्षित है। अगर फिर भी कोई जाति या समुदाय आरजेडी में जगह बनाने में वंचित रह जाएगा, उसे भी समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए नामांकित सदस्यों का प्रावधान किया गया है।
इसके तहत प्रारंभिक इकाई को छोड़कर विभिन्न स्तरों पर 25-25 प्रतिशत महिला और अल्पसंख्यक, 30 प्रतिशत एससी-एसटी और शेष 20 प्रतिशत वैसे वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।