विपक्ष ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दंभ भरते हुए इंडिया गठबंधन तो बना लिया पर गठबंधन को मजबूती न दे सके। कहना गलत न होगा कि खुद ही इंडिया गठबंधन खत्म करने में लगे हैं। इंडिया गठबंधन के खत्म होने की कगार पर पहुंचने की सबसे अधिक जिम्मेदार कांग्रेस है। बिहार में जदयू, उत्तर प्रदेश में आरएलडी, आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी एनडीए में चली गईं तो प. बंगाल में टीएमसी और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही हैं। महाराष्ट्र और बिहार में सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है।
विपक्ष के साथ उत्तर प्रदेश में लगे दलित नेता चंद्रशेखर आजाद को भी इंडिया गठबंधन नगीना लोकसभा सीट से चुनाव न लड़ा सका। कांग्रेस और सपा गठबंधन में सपा के खाते में आई इस सीट पर अखिलेश यादव ने मनोज कुमार को अपनी प्रत्याशी बनाकर चंद्रशेखर आजाद को अकेला छोड़ दिया। चंद्रशेखर आजाद ने भी एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि कमजोर लोग भाग्य को कोसते हैं। मजबूत लोग तो पत्थर का सीना चीरते हुए उग आते हैं। उन्होंने आजाद समाज पार्टी से नगीना से लोकसभा चुनाव लड़ने का बिगुल फूंक दिया है। उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद के 14 सीटें लड़ने की बात सामने आ रही है।
उधर बसपा मुखिया ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। बहुजन समाज पार्टी के 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात सामने आ रही है। मुस्लिम बहुल सीटों पर बसपा मुस्लिम प्रत्याशी उतार रही है। अमरोहा से मुजाहिद हुसैन, मुरादाबाद से इमरान सैफी, कन्नौज से अकील अहमद और पीलीभीत से अनीश अहमद खां को चुनावी समर में उतार दिया गया है। ओवैसी के भी उत्तर प्रदेश में 7 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है।
ओवैसी के प्रवक्ता आसिम वकार ने कहा है कि आजमगढ़, बदायूं, फिरोजपुर समेत 7 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। उनका कहना है कि इंडिया गठबंधन उनके साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहा है। उन्होंने अखिलेश को सबक सिखाने के लिए मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाएंगे। मतलब मायावती और ओवैसी तो इंडिया गठबंधन को रोकने में लगे थे। अब खुद इंडिया गठबंधन ने अपना एक सहयोगी संगठन अकेला छोड़ दिया। इस प्रत्याशी ने नगीना लोकसभा सीट पर अपने संगठन आजाद समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन को नुकसान और बीजेपी को फायदा होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलितों में चंद्रशेखर आजाद की ठीकठाक पैठ है। सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद का वोट बैंक ठीक ठाक है। इन सीटों पर भले ही वह चुनाव जीत न सके पर हरवाने और जितवाने की स्थिति में जरूर हैं। राजपूतों से टकराकर अपना वजूद बनाने वाले चंद्रशेखर आजाद का राजनीति करने का ढंग बड़ा आक्रामक है।
चंद्रशेखर आजाद बेबाक और आक्रमणकारी भाषा बोलने के रूप में जाते हैं। चंद्रशेखर आजाद कोई वंशवाद के बल पर राजनीति में नहीं आये हैं। उन्होंने संघर्ष के बल पर अपना मुकाम बनाया है। मायावती की राजनीति कमजोर होने के बाद अब चंद्रशेखर आजाद को दलितों का उभरता हुआ नेता माना जाने लगा है। जहां तक नगीना लोकसभा सीट से चंद्रशेखर आजाद के चुनाव लड़ने, जीतने और हारने की बात है तो सपा के मनोज कुमार और बीजेपी के ओमकुमार के चुनावी समर में उतरने के बाद जब चंद्रशेखर आजाद नगीना से चुनाव लड़ेंगे तो उनके पक्ष में एक सहानुभूति की लहर दौड़ सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का युवा चंद्रशेखर आजाद को अपना आदर्श मानता है।