चरण सिंह
बसपा मुखिया मायावती वह काम करने को तैयार नहीं, जिससे कि बसपा फिर से खड़ी हो सके। हां वह सब काम कर रही हैं जिससे कि उनके संगठन को कोई फायदा नहीं होने वाला है। कभी वह कांग्रेस पर हमला बोलती हैं तो कभी समाजवादी पार्टी पर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के खिलाफ बोलने को वह तैयार नहीं। जबकि फिर खड़ा होने के लिए मायावती को केंद्र की मोदी सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से होगा। दरअसल मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को जो बुकलेट बांटी है उसमें समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने की वजह बताई है। मायावती का कहना है कि २०१९ के लोकसभा चुनाव में बसपा की १० और सपा की ५ सीटें आने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार अब जब २०१२४ का लोकसभा चुनाव में बीत चुका है। उत्तर प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में सपा से गठबंधन टूटने का कारण बताने का क्या औचित्य है ? इससे बसपा संगठन और कार्यकर्ताओं को क्या लेना देना ? अब तो कार्यकर्ता यह चाहते हैं कि मायावती यह बताएं कि वह भाजपा के खिलाफ मोर्चा क्यों नहीं खोल रही हैं ? आकाश आनंद को खुलकर क्यों नहीं बोलने दिया जा रहा है ? उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर क्यों नहीं उतरा जा रहा है ? चंद्रशेखर आजाद से निपटने के लिए उनके पास क्या रणनीति है ?
दरअसल मायावती बोल्ड शासक रही हैं। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जो दोनों हाथों से धन बटोरा है, उसके चलते वह केंद्र सरकार के दबाव में हैं। केंद्र सरकार के दबाव में आने की वजह से ही उन्होंने गत लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक से गठबंधन नहीं किया। मायावती को यह समझना पड़ेगा कि यदि वह हर डर के परवाह न करते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर न उतरी तो बसपा का थोड़ा बहुत जो जनाधार है वह भी जाता रहेगा। अब मायावती के लिए दो ही रास्ते बचे हैं। एक से वह पूरी तरह से सरकारों के सामने आत्मसमर्पण करते हुए बसपा को खत्म होता देखें। अपने भतीजे आकाश आनंद को कागजी नेता बनते हुए देखें। दूसरा रास्ता कि वह आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने के लिए छोड़ दें।
दरअसल बसपा के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर आकाश आनंद पर कोई आर्थिक भ्रष्टाचार तो है नहीं। ऐसे में यदि आंदोलन करते हुए वह जेल चले गये भी तो उनका कद राजनीति में बढ़ेगा ही घटेगा नहीं। मायावती को यदि बसपा को खड़ा करना है तो उनके पास आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने देने के अलावा कोई चारा नहीं है। हां यह जरूर कहा जाता है कि यदि मायावती आज की तारीख में भी आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने का मौका दे दें तो वह बहुजन समाज पार्टी को फिर से खड़ा करने में सक्षम हैं। मायावती को इसके लिए रात दिन एक करना पड़ेगा। केंद्र सरकार के दबाव से बाहर आना पड़ेगा। इसमें दो राय नहीं कि आकाश आनंद के भाषणों में दम होता है पर चंद्रशेखर आजाद आज की तारीख में तूफान बने हुए हैं। जिस तरह से दिल्ली में भीम आर्मी की रैली में भीड़ जुटी, उससे चंद्रशेखर आजाद का कद बहुत बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का दलित समाज चंद्रशेखर आजाद में दलितों का हित देख रहा है। चंद्रशेखर आजाद आज की तारीख में बहुत सधी हुई राजनीति कर रहे हैं। वह एक बड़ा संदेश देने के लिए फेसबुक से लाइन संबोधित करते हैं। रिकॉर्डिंग कर उसका वीडियो बनाते हैं तथा सोशल मीडिया पर डालते हैं। इससे वह अपने समर्थकों में यह संदेश दे रहे हैं कि अभाव में रहकर भी वह उनके लिए लड़ रहे हैं।
बसपा मुखिया मायावती वह काम करने को तैयार नहीं, जिससे कि बसपा फिर से खड़ी हो सके। हां वह सब काम कर रही हैं जिससे कि उनके संगठन को कोई फायदा नहीं होने वाला है। कभी वह कांग्रेस पर हमला बोलती हैं तो कभी समाजवादी पार्टी पर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के खिलाफ बोलने को वह तैयार नहीं। जबकि फिर खड़ा होने के लिए मायावती को केंद्र की मोदी सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से होगा। दरअसल मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को जो बुकलेट बांटी है उसमें समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने की वजह बताई है। मायावती का कहना है कि २०१९ के लोकसभा चुनाव में बसपा की १० और सपा की ५ सीटें आने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार अब जब २०१२४ का लोकसभा चुनाव में बीत चुका है। उत्तर प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में सपा से गठबंधन टूटने का कारण बताने का क्या औचित्य है ? इससे बसपा संगठन और कार्यकर्ताओं को क्या लेना देना ? अब तो कार्यकर्ता यह चाहते हैं कि मायावती यह बताएं कि वह भाजपा के खिलाफ मोर्चा क्यों नहीं खोल रही हैं ? आकाश आनंद को खुलकर क्यों नहीं बोलने दिया जा रहा है ? उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर क्यों नहीं उतरा जा रहा है ? चंद्रशेखर आजाद से निपटने के लिए उनके पास क्या रणनीति है ?
दरअसल मायावती बोल्ड शासक रही हैं। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जो दोनों हाथों से धन बटोरा है, उसके चलते वह केंद्र सरकार के दबाव में हैं। केंद्र सरकार के दबाव में आने की वजह से ही उन्होंने गत लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक से गठबंधन नहीं किया। मायावती को यह समझना पड़ेगा कि यदि वह हर डर के परवाह न करते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर न उतरी तो बसपा का थोड़ा बहुत जो जनाधार है वह भी जाता रहेगा। अब मायावती के लिए दो ही रास्ते बचे हैं। एक से वह पूरी तरह से सरकारों के सामने आत्मसमर्पण करते हुए बसपा को खत्म होता देखें। अपने भतीजे आकाश आनंद को कागजी नेता बनते हुए देखें। दूसरा रास्ता कि वह आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने के लिए छोड़ दें।
दरअसल बसपा के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर आकाश आनंद पर कोई आर्थिक भ्रष्टाचार तो है नहीं। ऐसे में यदि आंदोलन करते हुए वह जेल चले गये भी तो उनका कद राजनीति में बढ़ेगा ही घटेगा नहीं। मायावती को यदि बसपा को खड़ा करना है तो उनके पास आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने देने के अलावा कोई चारा नहीं है। हां यह जरूर कहा जाता है कि यदि मायावती आज की तारीख में भी आकाश आनंद को खुलकर राजनीति करने का मौका दे दें तो वह बहुजन समाज पार्टी को फिर से खड़ा करने में सक्षम हैं। मायावती को इसके लिए रात दिन एक करना पड़ेगा। केंद्र सरकार के दबाव से बाहर आना पड़ेगा। इसमें दो राय नहीं कि आकाश आनंद के भाषणों में दम होता है पर चंद्रशेखर आजाद आज की तारीख में तूफान बने हुए हैं। जिस तरह से दिल्ली में भीम आर्मी की रैली में भीड़ जुटी, उससे चंद्रशेखर आजाद का कद बहुत बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का दलित समाज चंद्रशेखर आजाद में दलितों का हित देख रहा है। चंद्रशेखर आजाद आज की तारीख में बहुत सधी हुई राजनीति कर रहे हैं। वह एक बड़ा संदेश देने के लिए फेसबुक से लाइन संबोधित करते हैं। रिकॉर्डिंग कर उसका वीडियो बनाते हैं तथा सोशल मीडिया पर डालते हैं। इससे वह अपने समर्थकों में यह संदेश दे रहे हैं कि अभाव में रहकर भी वह उनके लिए लड़ रहे हैं।