देश बचाना है तो पत्रकारिता और सच्चे पत्रकारों को बचाकर रखो!

चरण सिंह 
आज देश की स्थिति यह है कि लोकतंत्र की रक्षा करने वाले तंत्रों का राजनीतिकरण हो गया है। ये सभी तंत्र अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं। इन तंत्रों में मीडिया का गिरता स्तर सबसे बड़ी चिंता का विषय है। जो पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर पत्रकारिता कर रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई दे रहा है। देखने की बात यह है जिस पेशे से कमजोर, जरूरतमंद और आम लोग उनकी आवाज उठाने की उम्मीद करते रहे हैं। जिस पेशे ने आगे बढ़कर अन्याय का विरोध किया है। जिस पेशे ने स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में विशेष योगदान दिया है। जिस पेशे ने सरकारें बदली हैं। आज वह पेशा न केवल पूंजीपतियों और प्रभावशाली के दबाव में अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है बल्कि इस पेशे के सिपाहियों पर खतरा मंडराता जा रहा है।
मैं बात कर रहा हूं पत्रकारिता और पत्रकारों की। यह कहते हुए लोगों को सुना जाता है कि जितनी बड़ी दलाली कर ले जितनी बड़ी डील मालिकों के लिए सरकारों से करा दे पत्रकार उतना ही बड़ा वह पत्रकार होने का दंभ भरता है। सच्ची और खोजी पत्रकारिता करने वालों को ये लोग पत्रकार ही नहीं मानते हैं। इसी देश के विडंबना ही कहा जाएगा कि इस भ्र्ष्ट दौर में जो पत्रकार जान जोखिम में डालकर अभाव में परिवार के ताने झेलते हुए सच्ची पत्रकारिता कर रहा है उसका साथ न तो सत्तापक्ष दे रहा है न ही विपक्ष, न पत्रकार संगठन दे रहे न ही जनता। लोग भ्र्ष्टाचार का रोना रोते रहेंगे पर जो लोग भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनका साथ नहीं देना है। छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर का क्या कसूर था ? वह भ्रष्ट लोगों के खिलाफ पत्रकारिता कर रहे थे तो क्या अपने लिए कर रहे थे ? जिन लोगों के लिए मुकेश चंद्राकर की पत्रकारिता समर्पित थी। वे कितने खड़े हुए इस पत्रकार के पक्ष में ? विपक्ष वैसे तो दिन भर भौंपू बजाता फिरेगा पर इस पत्रकार की हत्या के विरोध में खड़ा नहीं होगा। विपक्ष ही क्यों देश में तमाम प्रेस क्लब हैं। तमाम पत्रकार संगठन हैं। ये लोग क्या कर रहे हैं ? प्रेस क्लबों का काम तो यह रहा गया है कि शाम को वहां जाकर शराब पी जाए। कितने पत्रकार संगठन पत्रकारों की सुरक्षा, पत्रकारों की भविष्य, पत्रकारों की नौकरी  के लिए संघर्ष कर रहे हैं ? समझ सकते हैं कि इन भ्रष्ट लोगों को इनके खिलाफ आवाज उठाने पर कितना बुरा लगता है। जो सुरेश चंद्राकर 10000 रुपए की नौकरी करता था। वह सैकड़ों करोड़ का मालिक कैसे बन गया ? जब इस ठेकेदार की बनाई सड़क की खामिया गिनाकर  मुकेश चंद्राकर ने इसका भ्र्ष्टाचार उजागर किया तो इसने इन पत्रकार को अपने ऑफिस में बुलाकर इनकी हत्या कर दी। हत्या भी इतनी बेरहमी से की कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके लीवर के कई टुकड़े हुए मिले। पसली टूटी हुई मिली। गर्दन भी टूटी हुई मिली। शरीर का ऐसा कोई अंग नहीं बचा जिस पर चोट न लगी हो। मतलब इन दरिंदों के खिलाफ जो भी आवाज उठाएगा उसकी ये लोग बेरहमी से हत्या कर देंगे। चिंता की बात यह है कि प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस हत्या से पत्रकारों पर मंडरा रहे खतरे को नहीं देख रहा है।

  • Related Posts

    विश्व पर्यावरण दिवस : धरती को बचाने का संकट

    नीरज कुमार जानी-मानी हकीकत है कि 1760 में…

    Continue reading
    गाँव की सूनी चौपाल और मेहमान बनते बेटे

    डॉ. सत्यवान सौरभ “गांव वही है, खेत वही…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने फोन कर पीएम मोदी को दिया जी-7 का न्योता 

    • By TN15
    • June 6, 2025
    कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने फोन कर पीएम मोदी को दिया जी-7 का न्योता 

    मुख्यमंत्री की गिरफ़्तारी का आदेश अवैध ?

    • By TN15
    • June 6, 2025
    मुख्यमंत्री की गिरफ़्तारी का आदेश अवैध ?

    कलशयात्रा के साथ श्री राम कथा का हुआ शुभारंभ

    • By TN15
    • June 6, 2025
    कलशयात्रा के साथ श्री राम कथा का हुआ शुभारंभ

    मालदीव की यात्रा के प्रति चेतावनी

    • By TN15
    • June 6, 2025
    मालदीव की यात्रा के प्रति चेतावनी

    भगोड़ा कह सकते हैं चोर नहीं  : विजय माल्या

    • By TN15
    • June 6, 2025
    भगोड़ा कह सकते हैं चोर नहीं  : विजय माल्या

    प्रेम प्रसंग में नाबालिग लड़की की हत्या, दो नाबालिग भाई, दो मामा, ममेरे भाई ने रचा था षड्यंत्र! 

    • By TN15
    • June 6, 2025
    प्रेम प्रसंग में नाबालिग लड़की की हत्या, दो नाबालिग भाई, दो मामा, ममेरे भाई ने रचा था षड्यंत्र!