है तो लेखपाल आर्डर मानता है पत्रकारों का

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नजीबाबाद। नजीबाबाद तहसील के अंतर्गत किरतपुर में तैनात शहरी लेखपाल किरतपुर के पत्रकारों की हाथों का खिलौना बना हुआ है। उसे राजस्व विभाग के उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश की कोई परवाह नहीं है, बल्कि किरतपुर में जो पत्रकार स्थानीय स्तर पर मिट्टी भरान, पेड़ कटान एंव अन्य छोटे-मोटे कार्यों पर नजर रखे हुये हैं या कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्ता रहती है, ऐसे पत्रकार लेखपाल के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना साध रहे हैं। लेखपाल है कि अतिरिक्त के चक्कर में पत्रकारों के हाथों का खिलौना बन गया, उसे इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि कार्य उसके क्षेत्र में है या क्षेत्र से है, बस अपने अतिरिक्त के चक्कर में ऐसी जगह पर जहां वह बेबस हो जाते हैं वहां जब इनका काम नहीं बनता तब ऐसे पत्रकार लेखपाल का सहारा लेते हैं। क्योंकि लेखपाल नये आया है और वह अभी उन पत्रकारों के मंसूबों से परिचित नहीं हैं, जिनका एक नारा है ‘अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता’ वह शहरी लेखपाल को झांसे में ले रहे हैं और लेखपाल हैं कि कुछ पत्रकारों के झांसे में फंस रहे हैंं। किरतपुर में तैनात शहरी लेखपाल पत्रकार के एक मोबाइल काल पर ऐसे भागा चला जाता है, मानो जैसे तहसील से एसडीएम या तहसीलदार का फोन आया हो, किसी सरकारी जमीन पर कब्जा हो या कहीं कटान है, भरान है, लेखपाल ऐसे खड़ा रहता है जैसे पत्रकार ना हो सामने राजस्व विभाग से सम्बंधित उच्चाधिकारी है और उसे उसका आदेश मानना जरूरी है। ऐसे लगता है जैसे, है लेखपाल आर्डर मानता पत्रकारों का। बेचारे लेखपाल को यह नहीं मालुम इससे पूर्व लेखपाल इन पत्रकारों के झांसे में फंसकर क्षेत्र बदलवा चूके हैं।

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