द न्यूज 15
लखनऊ। राजनीति भी गजब चीज है। कुछ नेता पत्नी को टिकट दिलाने के लिए जान लगा देते हों तो कुछ को पत्नी का टिकट पर ख़ुशी होती है। स्वाति सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृत्व और बाल कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं के पति दयाशंकर सिंह भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष हैं और पत्नी का टिकट कटने पर खुश नजर आ रहे हैं।
लखनऊ की बहुचर्चित सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर यूपी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के बीच टिकट को लेकर रस्साकसी को पार्टी ने दोनों को ही उम्मीदवार न बनाकर राजराजेश्वर सिंह को उतार दिया। इससे यह विवाद तो खत्म हो गया, लेकिन एक ही सीट के लिए पति-पत्नी के बीच झगड़ा राजनीति के अखाड़े में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आज तक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए दयाशंकर सिंह ने राजराजेश्वर सिंह को टिकट मिलने पर बेहद खुशी जताई। उन्होंने कहा कि वे राजेश्वर सिंह को जिताने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे। कहा कि राजेश्वर सिंह भी बलिया से हैं और वह भी वहीं से आते हैं। इसलिए दोनों के बीच पारिवारिक संबंध भी हैं।
उन्होंने आपसी लड़ाई की वजह से टिकट कटने की बात से इनकार किया। कहा कि ऐसी बात नहीं है कि पति-पत्नी के झगड़े के कारण राजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी जिसे समझती है कि वह चुनाव में जीत दिला सकता है, उसे ही टिकट दिया जाता है। राजेश्वर सिंह को टिकट देने का फैसला पार्टी ने लिया है। पार्टी ने हमारे लिए भी कुछ अच्छा ही सोचा होगा। टिकट कटने के सवाल पर दयाशंकर ने कहा कि कई परिवारों के टिकट कटे हैं। इसमें तकलीफ जैसी कोई बात नहीं है।
मंगलवार को भाजपा के घोषित उम्मीदवारों में लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह की जगह पार्टी ने राजराजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (यूपीपीपीएस) से वर्ष 2007 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में प्रतिनियुक्ति पर गए थे और उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली।
ईडी में रहते हुए सिंह ने टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला जैसे कई मामलों की जांच की और सुर्खियों में बने रहे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सरोजनी नगर में स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह दोनों टिकट की दावेदारी कर रहे थे और इस टकराव को समाप्त करने के लिए पार्टी ने एक नया चेहरा मैदान में उतारा है। लखनऊ में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रहते हुए भी राजेश्वर सिंह लोकप्रिय रहे।
लखनऊ की बहुचर्चित सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर यूपी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के बीच टिकट को लेकर रस्साकसी को पार्टी ने दोनों को ही उम्मीदवार न बनाकर राजराजेश्वर सिंह को उतार दिया। इससे यह विवाद तो खत्म हो गया, लेकिन एक ही सीट के लिए पति-पत्नी के बीच झगड़ा राजनीति के अखाड़े में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आज तक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए दयाशंकर सिंह ने राजराजेश्वर सिंह को टिकट मिलने पर बेहद खुशी जताई। उन्होंने कहा कि वे राजेश्वर सिंह को जिताने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे। कहा कि राजेश्वर सिंह भी बलिया से हैं और वह भी वहीं से आते हैं। इसलिए दोनों के बीच पारिवारिक संबंध भी हैं।
उन्होंने आपसी लड़ाई की वजह से टिकट कटने की बात से इनकार किया। कहा कि ऐसी बात नहीं है कि पति-पत्नी के झगड़े के कारण राजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी जिसे समझती है कि वह चुनाव में जीत दिला सकता है, उसे ही टिकट दिया जाता है। राजेश्वर सिंह को टिकट देने का फैसला पार्टी ने लिया है। पार्टी ने हमारे लिए भी कुछ अच्छा ही सोचा होगा। टिकट कटने के सवाल पर दयाशंकर ने कहा कि कई परिवारों के टिकट कटे हैं। इसमें तकलीफ जैसी कोई बात नहीं है।
मंगलवार को भाजपा के घोषित उम्मीदवारों में लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह की जगह पार्टी ने राजराजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (यूपीपीपीएस) से वर्ष 2007 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में प्रतिनियुक्ति पर गए थे और उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली।
ईडी में रहते हुए सिंह ने टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला जैसे कई मामलों की जांच की और सुर्खियों में बने रहे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सरोजनी नगर में स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह दोनों टिकट की दावेदारी कर रहे थे और इस टकराव को समाप्त करने के लिए पार्टी ने एक नया चेहरा मैदान में उतारा है। लखनऊ में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रहते हुए भी राजेश्वर सिंह लोकप्रिय रहे।