Hindenburg Research: हाल ही में Gautam Adani ने दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी का तगमा हासिल कर लिया था। लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी की एक रिपोर्ट आने के बाद अडानी टॉप 10 की सूची से भी बाहर हो गए हैं । मतलब हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने समूचे अडानी साम्राज्य की नींव हिला दी है। स्थिति यह है कि गौतम अडानी की नेटवर्थ लगातार गिरती जा रही है । इन हालातों में Hindenburg Research Company के बारे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है । तो आज हम आपको इस कंपनी के बारे में मौजूदा जानकारी के मुताबिक बताने की कोशिश करेंगे कि असल में इस कंपनी का आधार क्या है और यह कंपनी कितनी पाक साफ है। यह कंपनी किस तरह से पैसे कमाती है। कंपनी का काम करने का तरीका क्या है ?
दरअसल, 25 जनवरी को अडाणी ग्रुप की कंपनियों के बारे में ‘हिंडनबर्ग’ ने एक रिपोर्ट जारी की । हिंडनबर्ग रिपोर्ट का टाइटल रहा – ‘दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी किस तरह कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा कर रहा है’ । रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी से जुड़े 3 बड़े आरोप लगाए गए हैं जो की हैं- और 88 सवालों का जवाब भी मांगा गया है । शेयर कीमतों को असली कीमतों से बढ़ाकर बेचने, मनी लॉन्ड्रिंग और accounting fraud के आरोप रिपोर्ट में लगाए गए हैं ।
देखने की बात यह है कि बीते 3 साल में जहां पूरी दुनिया को loss हुआ है वहीं अडानी की नेटवर्थ लगातार बढ़ी, जिसमें सबसे ज्यादा फायदा उन्हें शेयर मार्केट से हुआ। 120 बिलियन में से 109 बिलियन US डॉलर की कमाई केवल शेयर मार्केट वैल्यू की वृद्धि से हुई है। ऐसे में हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी पर आरोप है कि वो अपनी कंपनी के शेयर को उनकी वास्तविक कीमत से 85% ज्यादा वैल्यू पर बेच रहे हैं और SEBI जिसका काम है शेयर मार्केट में धोखड़ाडी को रोकना है वह इस पर चुप्पी साधे हुए है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप की कंपनी की वृद्धि का कारण बैंकों से लिया अंधाधुन लोन है।
अब ऐसे में इतने आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग कंपनी का आधार क्या है ? यह कब बनी है और क्यों बनी है इसका इतिहास क्या है ? एसे ही इस कंपनी पर बड़े सवाल खड़े हो जाते हैं । आखिर कौन है अमेरिकी नेथन एंडरसन जिसकी रिसर्च कंपनी पर आरोप है कि अडानी के ज़रिए, ये भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है । अडानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली कंपनी, खुद कितनी पाक साफ है ?
नेथन एंडरसन: हिंडनबर्ग कंपनी का मालिक
हिंडनबर्ग कंपनी का मालिक नेथन एंडरसन ने अमेरिका के कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस विषय में ग्रेजुएशन पूरी की है । ग्रेजुएशन के बाद नेथन एंडरसन ने डाटा रिसर्च कंपनी में नौकरी की और उधर ही उसे पैसों के इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट से जुड़ा काम मिला । अपनी नौकरी के ज़रिए ही एंडरसन डेटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को समझने लगा। उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि शेयर मार्केट दुनिया के पूंजीपतियों का सबसे बड़ा अड्डा है लेकिन इसमें काफी कुछ ऐसा हो रहा है जो आम लोगों की समझ से बाहर है । इसी के चलते एंडरसन के दिमाग में फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी शुरू करने का खयाल आया, जिसके परिणामस्वरूप 2017 में एंडरसन ने ‘हिंडनबर्ग’ नाम से कंपनी की शुरुआत की। विकिपीडिया के अनुसार इस कंपनी के फिलहाल 9 employees हैं, वहीं इसके headquarters New York में है, लेकिन किसी के पास भी कंपनी का असली अता-पता नहीं है ।
कैसे पड़ा कंपनी का नाम ?
6 मई 1937 को ब्रिटेन के मैनचेस्टर शहर में हिंडनबर्ग नाम का एक जर्मन एयर स्पेसशिप उड़ान भरते समय हवा में ही क्रैश हो गया था। इस हादसे में 35 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे को एक ‘Man made disaster’ कहा जाता है । क्योंकि जांच के बाद पता चला कि इस विमान के हाइड्रोजन गुब्बारों में आग लगने की वजह से ये घटना घटी थी । रिपोर्ट में पता चला कि कंपनी ने नियमों का पालन किए बिना क्षमता से ज्यादा लोगों को इस विमान में बैठा दिया था। नेथन एंडरसन के मुताबिक इस हादसे को टाला जा सकता था , इसलिए ये नाम रखने का मकसद सिर्फ एक था कि हिंडनबर्ग की तर्ज पर शेयर मार्केट में profit कमाने के लिए हो रही गड़बड़ियों पर नजर रखकर उसकी पोल खोलना। ताकि शेयर मार्केट में घोटालों की वजह से होने वाले किसी क्रैश को पहले ही रोका जा सके।
क्या है ‘modus operandi’ हिंडनबर्ग की ?
हिंडनबर्ग कंपनी ने 2 साल की रिसर्च के बाद अडानी ग्रुप के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी की, इस रिपोर्ट को पढ़कर ये साफ समझ आता है कि, हिंडनबर्ग कंपनी ने अडानी के शेयर गिराने के लिए ये रिपोर्ट साझा की । कंपनी के ‘modus operandi’ और इतिहास से ही ये साफ होता है । हिंडनबर्ग का काम basically – शेयर मार्केट, equity, क्रेडिट और derivatives (डेरिवेटिव्स) पर रिसर्च करना है। अपनी रिसर्च के ज़रिए ही ये कंपनी profit कमाती है । आसान भाषा में समझे तो हिंडनबर्ग short bets के ज़रिए अपनी कमाई करती है। दरअसल, हिंडनबर्ग कंपनी ‘short selling company’ है । और अपनी इसी ‘short selling’ tactic और रिसर्च के बलबूते पर अपना और अपने इन्वेस्टर्स का फायदा कराती है, वहीं targeted company का loss और खुद का profit करवाती है । आखिर ये ‘short selling’ technique क्या है ? तो आइए समझाते हैं आपको
दरअसल, शेयर मार्केट से पैसा कमाने के दो मुख्य तरीके हैं : लांग पोजिशन और शॉर्ट पोजिशन । लांग पोजीशन के ज़रिए आप कंपनी के profit पर profit कमाते हो, वहीं शॉर्ट पोजिशन के ज़रिए आप कंपनी के loss पर फायदा उठाते हैं ।
मान लीजिए किसी कंपनी या व्यक्ति ने 100 रुपए में किसी कंपनी के शेयर खरीदे और 150 रुपए में बेच दिए। ऐसे में उसे 50 रुपए का लाभ मिलता है। इस तरीके को लांग पोजीशन कहते हैं।
इसी तरह मान लीजिए कि हिंडनबर्ग कंपनी ने शेयर मार्केट से जुड़ी किसी A कंपनी से एक महीने के लिए 10 शेयर उधार लिए और B को बेच दिए। इस वक्त बाजार में एक शेयर की कीमत 1000 है और उसने उसी कीमत में B को बेचे हैं। अब हिंडनबर्ग को भरोसा है कि उसकी रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अडाणी के शेयर की कीमत गिरेगी।
अब मान लीजिए रिपोर्ट पब्लिश होते ही अडाणी के एक शेयर का भाव 1000 से गिरकर 700 हो गया। ऐसे में हिंडनबर्ग अब बाजार से 700 रुपए में 10 शेयर खरीदकर A कंपनी को लौटा देगा। इस तरह हिंडनबर्ग को एक शेयर पर 300 रुपए तक लाभ मिलता है। इसे ही शॉर्ट पोजिशन कहते हैं।
और ये ही शॉर्ट पोजिशन वाला दांव हिंडनबर्ग खेलता है । इसी दांव के साथ नेथन एंडरसन की कंपनी ने अडानी को बड़ा झटका दिया । हिंडनबर्ग की रिसर्च ने कहा कि उसने अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज में शॉर्ट पोजिशन होल्ड की है, US-traded bonds के ज़रिए । यानी अडानी एक डुबता हुआ जहाज है, इसलिए वो बल्क में अपने बॉडंस सैल करेगा ।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि, Short selling companies ko कौन शेयरस या बॉन्डस उधार देता है, जिससे फायदा सिर्फ इन Short selling companies को और इनके investors को होता है, और किसी को नहीं ।
Hindenburg का Narrative
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के ध्यान से पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि उन्होंने अडानी के खिलाफ एक Narrative set किया है। रिपोर्ट में अडानी पर इल्ज़ाम लगाने के साथ-साथ ये भी कहा गया है कि, अडानी अपने हाल ही के इंटरव्यू के मुताबिक criticism का open mind से स्वागत करते हैं, लेकिन वहीं वो दूसरी साइड अपने लिंक और political connection के जरिए उन critical journalists or commentators की आवाज़ दबाने की कोशिश करते हैं । इसी के साथ, इस रिपोर्ट पर सवाल तब खड़े होते हैं जब ये रिपोर्ट उस वक्त सामने आती है, जब Adani Enterprises 27 जनवरी 2023 को, अपने निवेशकों के लिए 20,000 करोड़ के शेयरों का ऑफर रिलीज करने को तैयार में था। यानि की अडानी इंडिया का अभी तक का सबसे बड़ा FPO यानी, (Follow on Public Offer) लेके आ रहा था। ये शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी की ओर से पेश किया जाता है। इसके तहत कंपनी पूंजी जुटाने के लिए नए शेयर अपने मौजूदा और नए शेयरधारकों को जारी करती है।.लेकिन तभी 24- 25 को हिंडनबर्ग ने अडानी के खिलाफ अपनी रिपोर्ट पेश की जिसके बाद अडानी के शेयर गिरते चले गए, हाल ये रहे कि अडानी ग्रुप के इनवेस्टर्स ने कुल मिलाकर 2 फरवरी तक 10 लाख करोड़ गवाए। सबके बीच फायेदा सिर्फ हिंडनबर्ग और उनके investors को हुआ ।
ये पहली बार नही जब हिंडनबर्ग ने ऐसा किया हो, इससे पहले, हिंडनबर्ग ने भारत में entertainment company Eros को accounting irregularities के लिए target किया था, साथ ही Nikola, Genius Brand, Twitter जैसी कंपनीयों के खिलाफ भी सेम modus operandi इस्तेमाल किया और ऐसे ही रिपोर्टस और मार्केट स्पैक्यूलेशन के सहारे इन कंपनी के शेयर short करके, उसकी मार्केट वैल्यू गिरा कर अपने और अपने investors के लिए profit कमाया था ।
Hindenburg पर insider trading का आरोप
इस रिपोर्ट के बाद हिंडनबर्ग पर इनसाइडर ट्रेडिंग का भी आरोप है। क्योंकि रिपोर्ट में ऐसी बहुत सी जानकारियां हैं जो अडानी के खिलाफ किसी भी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, जिसका शायद ही वास्तविक हकीकत से कुछ लेना देना हो, लेकिन ऐसी जानकारी को सोशल मीडिया और मीडिया संगठनों के ज़रिए ज्यादा से ज्यादा सर्कुलेट किया ताकी इस से अडानी ग्रुप को मार्केट में भारी नुकसान उठाना पड़े । वहीं इन सबके बीच अपने टारगेट को यानी अडानी ग्रुप के शेयर को शॉर्ट सेल करके प्रॉफिट कामया।
Hindenburg में है transparency की कमी
Hindenburg खुद ये दावा करती है कि, उन्हें 10 साल का तजुरबा है, वहीं कंपनी को जुम्मा – जुम्मा 5-6 साल हुए है, घटित हुए । एक तरफ हिंडनबर्ग अडानी ग्रुप पर दागे 88 सवालों में से कुछ सवाल अडानी ग्रुप के secretive investors के संबंध में कर रहा है, लेकिन वहीं खुद अपने इन्वेस्टर्स के बारे में कुछ भी डिस्क्लोज करने से बच रहा है।
Hindenburg की विश्वसनीयता
हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर सवाल ए निशान 3 कारणों की वजह खड़े होते हैं –
1. कंपनी अपने बारे में जानकारी पब्लिक डोमेन में समझा नहीं करती : Hindenburg कंपनी में कितने employees काम करते हैं, इनकी फंडिंग कहा से आती है, आदि जैसे बेसिक सवाल का जवाब भी आपको उनकी वेबसाइट पर नहीं मिलेगा, जो उनकी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है । लेकिन फिर भी इस कंपनी का साफ-साफ डर बड़े से बड़े businessman में देखने को मिलता है । दरअसल, Hindenburg का रिकॉर्ड है कि, हालांकि अभी तक कंपनी ने कुछ 45 investigation/research की है पिछले 5 साल में, लेकिन इनमें से 75% केसेस में उनकी बातें शत-प्रतिशत ठीक निकली हैं, जिसके चलते इनके investors ने अच्छा profit कमाया है ।
2. US में DoJ में short sellers के खिलाफ criminal investigation चल रही है : लेकिन असल बात ये भी है कि Hindenburg की रिपोर्ट और साख शक के घेरे में है। दरअसल, अमेरिका में शॉर्ट सेलर्स के खिलाफ आपराधिक जांच चल रही है। अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने हेज फंड और रिसर्च फर्मस, जो शॉर्ट सेलिंग में involve हैं उनके खिलाफ investigation शुरु की है।
3. वहीं जब अडानी ग्रुप ने hindenburg report पर लीगल एक्शन लेने की बात कही तो, हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को भारत के बजाए, अमेरिका में लीगल एक्शन लेने को कहा ।
अब आप हमें कमेंट बॉक्स में बताएं की ये रिपोर्ट आपको कैसी लगी और जो कंपनी किसी कंपनी को घाटे में डाल कर उस घाटे के ज़रिए, खुद अपना प्रॉफिट में बनाती हो। ऐसी कंपनी पर कितना विश्वास किया जा सकता है ? एक एसी कंपनी जो खुद अपने investors की जानकारी छुपाती हो, जो रिपोर्ट पब्लिक करने से पहले अपने investors को बताती है उसकी रिपोर्ट पर कितना भरोसा किया जा सकता है????
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