जलता कैसे दीप।।

0
9
Spread the love

शुभ दीवाली आ गई, झूम रहा संसार।
माँ लक्ष्मी का आगमन, सजे सभी घर द्वार।।
*
सुख वैभव सबको मिले, मिले प्यार उपहार।
सच में सौरभ हो तभी, दीवाली त्यौहार।।
*
दीवाली का पर्व ये, हो सौरभ तब खास।
आ जाए जब झोंपड़ी, महलों को भी रास।।
*
जिनके स्वच्छ विचार हैं, रखे प्रेम व्यवहार।
उनके सौरभ रोज ही, दीवाली त्यौहार।।
*
दीवाली उनकी मने, होय सुखी परिवार।
दीप बेच रोशन करे, सौरभ जो घर द्वार।।
*
मैंने उनको भेंट की, दीवाली और ईद।
जान देश के नाम कर, जो हो गए शहीद।।
*
फीके-फीके हो गए, त्योहारों के रंग।
दीप दिवाली के बुझे, होली है बेरंग।।
*
नेह भरे मोती नहीं, खाली मन का सीप।
सूख गई हैं बातियाँ, जलता कैसे दीप।।
*
बाती रूठी दीप से, हो कैसे प्रकाश।
बैठा मन को बांधकर, अंधियारे का पाश।।
*
दीया माटी का जले, रौशन हो घर द्वार।
जीवन भर आशीष दे, तुम्हे खूब कुम्हार।।
*
दीया बाती ने किया, प्रेमपूर्ण व्यवहार।
जगमग हुई मुँडेर है, प्रकाशमय घर द्वार ।।
*
दीया -बाती- सी परी, तेरी -मेरी प्रीत।
हर्षित हो उल्लास उर, गाये मिलकर गीत।।
*
दीया में बाती जले, पावन ये व्यवहार।
अन्तर्मन उजियार ही, है सच्चा श्रृंगार।।
*
सदा शहीदों का जले, इक दीया हर हाल।
मने तभी दीपावली, देश रहे खुशहाल ।।
*
दीया- बाती- सा बने, आपस में विश्वास।
चिंता सारी दूर हो, खुशियां करे निवास।।
*
तपती बाती रात भर, लिए अटल विश्वास।
तब जाकर दीया भरे, है आशा उल्लास।।
*
दीये सा जीवन करे, इस जगती के नाम।
परहित हेतु जो है मिटे, जीवन उनका धाम।।
*
दीया माटी का जले, रौशन हो घर द्वार।
जीवन भर आशीष दे, तुम्हे खूब कुम्हार।।

 

डॉ. सत्यवान सौरभ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here