बिहार एनडीए में सिर फुटौव्वल!

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 जेडीयू 130 तो एलजेपीआर का 38 पर दावा, कुशवाहा-मांझी अलग तरेर रहे आंखें

दीपक कुमार तिवारी

पटना। ‘स्लोली स्लोली विन द रेस’ बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ इस अंदाज में एनडीए गठबंधन पर भारी पड़ने की नीति पर चल रहे हैं। अंदाजा यह है कि लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा की सुनी तो अब बिहार विधान सभा में जदयू की सुननी पड़ेगी। जदयू जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में मिशन 225 के पीछे जदयू का अपना मिशन भी छुपा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी विधान सभा चुनाव 2025 जदयू के लिए करो और मरो जैसा है। यह चुनाव दरअसल, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का लक्ष्य आधारित चुनाव है। इस लक्ष्य के अनुकूल नीतीश कुमार राज्य में न केवल नंबर वन पार्टी बनना चाहते हैं, बल्कि 2010 में मिली 115 सीट के लिमिट को भी पार करना चाहते हैं।
जदयू के रणनीतिकारों के अनुसार 2010 में हासिल सीटों से पार करने के लिए कम से कम 120 सीट पर लड़ना जरूरी है। वैसे सूत्रों की माने तो जदयू 130 सीटों पर लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। वह भी इस समझ के साथ कि जिस तरह से भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जदयू से एक सीट ज्यादा लेकर बड़े भाई की भूमिका में थी तो राज्य सत्ता के संघर्ष में जदयू नंबर वन की भूमिका यानी बड़े भाई की भूमिका में रहेगी। वैसे भी लोकसभा और राज्यसभा चुनाव में जदयू ने वही किया जो भाजपा नेतृत्व ने चाहा। अब भाजपा से भी यही उम्मीद जदयू भी कर रही है।
जदयू के रणनीतिकारों ने मिशन 130 के लिए ग्राउंड वर्क पूरा किया है। जदयू के रणनीतिकारों ने 130 सीटों पर लड़ने का पूरा आधार बनाया है। उनका पहला तर्क यह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उनका स्ट्राइक रेट भाजपा से ज्यादा है। भाजपा 17 लोकसभा पर चुनाव लड़ी और 12 पर जीत दर्ज की। जदयू 16 सीटों पर लड़कर 12 सीटों पर लड़कर 12 सीटों पर जीती। इस लोकसभा चुनाव में 243 विधान सभा सीटों का आंकलन किया गया तो जदयू 74 विधान सभा सीटों पर आगे थी और भाजपा 68 सीटों पर। इस लिहाज से भी जदयू की दावेदारी 2020 के विधान सभा चुनाव की तरह आधी आधी सीटों पर चुनाव लड़ने की नहीं होने जा रही है। जदयू एनडीए के अन्य गठबंधन दलों को लेकर भी अपना दृष्टिकोण भाजपा के रणनीतिकारों के पास स्पष्ट कर रखा है। जदयू का कहना है कि मेरा गठबंधन भाजपा से है वैसे ही एनडीए में शामिल अन्य दलों का भी गठबंधन भाजपा से है। सो, उनके लिए भाजपा को सोचना है।
नीतीश कुमार के मिशन 130 की चर्चा के साथ एनडीए में शामिल दल अभी से ही सचेत हो गए हैं। लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो अलग मोर्चा खोल रखा है। लोकसभा में 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट को आधार मानते चिराग पासवान ने पहले ही हर जिले में एक सीट पर चुनाव लड़ने की बात सार्वजनिक कर दी है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपना इरादा प्रकट कर दिया है। उपेंद्र कुशवाहा ने तो यह सार्वजनिक मंच से कहा कि विधान सभा में लोकसभा चुनाव का गणित नहीं चलेगा। हम के संस्थापक अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी लोकसभा चुनाव में 100 फीसदी स्ट्राइक वाले नेता हैं। हालांकि उनका कोई टारगेट अभी नहीं आया है। अभी वह उप चुनाव में इमामगंज से अपने प्रत्याशी के लिए जीत का गणित गढ़ रहे हैं।

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