ममता बनर्जी में इंसानियत जाग गई है या फिर सरकार जाने का डर!

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चरण सिंह 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में क्या वास्तव में इंसानियत जाग गई है या फिर यह सब कुर्सी जाने के डर से कर रही हैं। आरजी अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप के मामले में चल रही डॉक्टरों की हड़ताल से पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री अपने को व्यथित दर्शा रही हैं। दरअसल ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से मिलकर जिस तरह से कहा कि आप लोग बारिश में प्रोटेस्ट कर रहे हैं। मुझे रात भर नींद नहीं आई। मैं आपके आंदोलन को सलाम करती हूं। उन्होंने यह भी कहा कि वह भी छात्र नेता रही हैं। ममता बनर्जी डॉक्टरों से उनकी मांगें पूरी करने के लिए थोड़ा समय मांग रही हैं। सीबीआई से दोषी को फांसी देने की मांग कर रही हैं। आखिर ममता बनर्जी इस अपराध के लिए किसकी जवाबदेही मान रही हैं। अब तक उन्होंने इस रेप कांड की जिम्मेदारी खुद क्यों नहीं ली। ममता बनर्जी यह तो कह रही हैं कि वह इस्तीफा दे देंगी। पर दे नहीं रही हैं। ममता बनर्जी को बंगाल में हो रहे अपराध की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
दरअसल रेप कांड मामले में जब से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में अब बहुत हो चुका है। बर्दाश्त से बाहर है। जब से सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगाई है। तब से ममता बनर्जी ने पूरा फोकस इस कांड पर लिया है। कभी वह इस्तीफा देने की बात करती हैं तो कभी डॉक्टरों के साथ संवाद करने के लिए मीटिंग करती हैं और कभी खुद ही प्रदर्शन करने लगती हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार ममता बनर्जी यह आरोप किस पर लगा रही हैं ? पश्चिमी बंगाल में सरकार तो खुद उनकी ही है।
दरअसल इस अस्पताल का प्रिंसिपल संदीप घोष के सरकार को कमाकर देने की बात सामने आती रही है। संदीप घोष की कई बार शिकायत हुई पर उसका कुछ बिगड़ा नहीं। उसके सीनियर मेडिकल छात्रों के साथ बैठकर दारू पीने की भी बात सामने आई है। डॉक्टर के साथ रेप के मामले के बाद जहां इस प्रिंसिपल को बर्खास्त कर देना चाहिए था वहीं प्रमोशन देकर उसका ट्रांसफर कर दिया गया था। ममता बनर्जी को यदि डॉक्टरों की इतनी ही चिंता थी तो इन डॉक्टरों की शिकायतोंं पर अमल क्यों नहीं किया ? रेपकांड के बाद इस प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की ? मतलब यह प्रिंसिपल सरकार के लिए दुधारू गाय था तो किसी ने यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि यह अस्पताल में क्या-क्या करता रहा है। बताया जा रहा है कि रेप कांड का आरोपी अस्पताल में ही स्थापित पुलिस चौकी पर भी हावी रहता था।
दरअसल एनसीआरबी की साल 2023 में आई रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि दर्ज की गई थी, लेकिन शहर में क्राइम रेट कम था। कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि 2021 में मामलों की संख्या 1,783 से बढ़कर 2022 में 1,890 हो गई थी। कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या पर 27.1 बताई गई थी। कोलकाता में 2021 में 11 बलात्कार की घटनाएं हुई थी, जो उसके 2020 के बराबर है. लेकिन 2018 में 14 रेप केस और 2017 के 15 से कम रेप के मामले सामने आए थे।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में कोलकाता में हत्या के 45, हत्या के कोशिश के 135, रेप के 11 केस, महिलाओं पर हमले के 127, डकैती के 3 और चोरी के 1246 मामले दर्ज किये गये थे। रिपोर्ट में वैसे तो महिलाओं पर अपराधों की दरों में कमी नहीं हुई थी, लेकिन बढ़ते अपराधों को देखते हुए लोगों द्वारा इन आकड़ों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
दरअसल पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 के दौरान महिलाओं के खिलाफ पति और ससुराल पक्ष द्वारा घरेलू हिंसा किए जाने के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए थे। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ है।

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