गुजरात में चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस बार आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान पर उतरने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। इस बार कांग्रेस के लिए यह राह आसान नहीं होगी क्योंकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कई ऐसे नेता थे जो अब उसके साथ नहीं हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन से पार्टी को गुजरात में बड़ क्षति हुई है। गुजरात में कांग्रेस पहली बार अहमद पटेल के बिना चुनाव लड़ेगी। ऐसे में लोगों का कहना है कि अगर अहमद भाई होते तो राजस्थान में खेल न होता। यहां एक ओर इस बार के विधानसभा चुनाव में अहमद पटेल नजर नहीं आएंगे। वहीं दिवंगत नेता की बेटी मुमताज पटेल सिद्दीकी कांग्रेस से नाराज चल रही हैं। गत दिनों उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कार्यकर्ताओं की सुनने वाला कोई नहीं है। एक ओर जहां कांग्रेस नेता अंदरूनी गुटबाजी और आपसी झगड़े के चलते पार्टी छोड़कर बीजेपी के साथ जुड़े रहे हैं। ऐसे में हर किसी की जबान पर अब यही बात है कि अगर अहमद पटेल होते तो ऐसा न होता।
कांग्रेस आपस में ही लड़ रही ज् इस बीच गुजरात के स्थानीय लोगों का कहना है कि कांग्रेस क्या ही चुनाव लड़ेगी, वह तो आपस में ही लड़ रही है। लोगों का कहना है कि अहमद भाई अगर होते तो राजस्थान में कांग्रेस का ऐसा हाल न होता। वह ऐसे आदमी थी कि किसी का झगड़ा होते ही नहीं देते। एक स्थानीय शख्स ने कहा कि आम आदमी पार्टी गुजरात में क्या टक्कर देगी यहां पीएम मोदी किसी की चलने देंगे नहीं देंगे। उनके पास ताकत है और उनके आदमी कुछ भी कर सकते हैं।
भरुच की पीरामन गांव के एक स्थानीय शख्स ने कहा कि अरविंद केजरीवाल भी यहं कोई टक्कर नहीं दे पाएंगे। जब तक अहमद भाई का नाम है तब तक यहां कोई नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि फिलहाल आम आदमी पार्टी ही बीजेपी को टक्कर दे रही है।
कांग्रेस का इतिहास उनसे पहले और बाद ज् वहीं दूसरी ओर दिवंगत नेता अहमद पटेल की बेटी मुमताज से जब गुजरात में कांग्रेस की स्थिति के बारे में जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस का इतिहास हमेशा अहमद पटेल से पहले और एपी के बाद लिखा जाएगा। वो ही थे जो लोगों को जोड़ने में विश्वास रखते थे। अगर कोई कहता है कि वह पार्टी छोड़ना चाहता है तो वह उन्हें पार्टी से जाने नहीं देते थे। अगर कोई कहता है कि वह पार्टी छोड़ना चाहता है तो वह उन्हें पार्टी से जाने नहीं देते थे। ऐसे लोगों को मनाने में अहमद पटेल को महारत हासिल थी। उनके कई विपक्षी नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध थे, जो उन पर विश्वास करते थे और उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते थे।