सिंगापुर के पीएम द्वारा नेहरू की तारीफ और मौजूदा सांसदों पर टिप्पणी से सरकार नाराज, विदेश मंत्रालय ने उच्चायुक्त को बुलाया

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नेहरू की तारीफ
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द न्यूज 15 

नई दिल्ली। सिंगापुर के प्रधानमंत्री द्वारा सिंगापुर की संसद में भारतीय लोकतंत्र में गिरावट की वर्तमान स्थिति और नेहरू की महानता की तारीफ ने केंद्र सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है। उनके इस बयान से केंद्र सरकार इतनी बैचैन हो गई कि सिंगापुर के राजदूत को तलब कर सिंगापुर के प्रधानमंत्री के बयान पर सख्त एतराज जताया है।
गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने भारत में सिंगापुर के उच्चायुक्त सिमोन वोंग को बुलाया। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने उनसे कहा कि “सिंगापुर के प्रधानमंत्री द्वारा की गयी टिप्पणी गैर जरूरी थी”। सिंगापुर भारत का मुख्य सामरिक सहयोगी है और दोनों के शीर्ष नेताओं के बीच गहरे रिश्ते हैं। हालांकि गहरे सामरिक रिश्तों वाले देशों के राजदूतों में किसी को विदेश मंत्रालय द्वारा बुलाए जाने की यह अप्रत्याशित घटना है।
दरअसल सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग अपने देश की संसद में एक बहस के दौरान दुनिया भर में लोकतंत्र की स्थिति पर अपनी राय पेश कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने नेहरू के नेतृत्व में भारतीय लोकतंत्र की शानदार शुरुआत और वर्तमान पतनशील स्थिति पर एक टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा, “ ‘नेहरू के भारत’ की लोकतांत्रिक राजनीति में गिरावट आ गई है। लोकसभा के करीब आधे सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।”
दुनिया भर में लोकतंत्र की स्थिति पर भावात्मक टिप्पणी करते हुए सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने नेहरू का जिक्र करते हुए कहा, “ ज्यादातर देशों (लोकतांत्रिक) की स्थापना उच्च आदर्शों और महान मूल्यों के आधार पर हुई थी। लेकिन इनके संस्थापक नेताओं और इसकी अगुवाई करने वाली पीढ़ी के न रहने से यह स्थिति कायम नहीं रह सकी। कुछ पीढ़ियों और कुछ दशकों के बाद स्थितियां बदलने लगीं।” इस संदर्भ उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के अग्रणी संस्थापक नेहरू का नाम लिया और वर्तमान पतनशील भारतीय लोकतंत्र के स्वरूप की चर्चा करते हुए लोकसभा के करीब आधे सांसदों के आपराधिक चरित्र की चर्चा की। उन्होंने कहा, “ मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार नेहरू का भारत ऐसी जगह पहुंच गया, जहां लोकसभा के करीब आधे सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं, जिसमें बलात्कार और हत्या के मुकदमें भी शामिल हैं”। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “इसमें से कुछ मुकदमें राजनीति से प्रेरित हो सकते हैं।”
अपने 40 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा कि कैसे एक लोकतंत्र को बेहतर तरीके से काम करने के लिए उच्चादर्शों वाले सांसदों की जरूरत होती है। इस संदर्भ में उन्होंने नेहरू की चर्चा की। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “ बहुत सारी राजनीतिक व्यवस्थाएं अपने संस्थापक नेताओं की संकल्पनाओं से बिल्कुल ही मेल नहीं खातीं।” इस संदर्भ उन्होंने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा, “डेविड बेन-गुरियंस का इजरायल एक ऐसे देश में बदल गया है, जहां पिछले दो वर्षों में चार आम चुनाव के बाद किसी तरह सरकार बन पाई है। इसी बीच वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और अधिकारियों का एक हिस्सा आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है और उनमें से कुछ जेल जा चुके हैं।”
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली ने दुनिया भर के लोकतंत्रों के पतन की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ चीजें बहुत ही गहरी भावना के साथ शुरू होती हैं। स्वतंत्रता के लिए लड़ने और जीतने वाले नेता महान साहस, उन्नत संस्कृति और उत्कृष्ट क्षमता  वाले प्राय: असाधारण लोग रहे हैं। वे आग में तप कर निकले और जनता और राष्ट्रों के नेता बने। ऐसे नेताओं में डेविड बेन-गुरियंस, जवाहरलाल नेहरू और हमारे देश के नेता भी शामिल रहे हैं।” इसके बाद उन्होंने भारत और इजरायल के लोकतंत्र के वर्तमान पतनशील स्थिति की चर्चा की। भारत और इजरायल की वर्तमान पतनशील स्थिति के संदर्भ में उन्होंने अपने देश (सिंगापुर) के लोकतंत्र के भविष्य के संदर्भ में भी गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने यह सवाल उठाया कि “कौन सी चीज सिंगापुर को इस रास्ते (भारत-इजरायल) पर जाने से रोक सकती है? हम आंतरिक तौर अन्य देशों की तुलना में ज्याद सक्षम और ज्यादा योग्य नहीं हैं। आधुनिक सिंगापुर ऐसी किसी सुरक्षित व्यवस्था के साथ नहीं पैदा हुआ है, जो असफल न हो।”

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