फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड व लोन कराने वाले गैंग पकड़ा

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ऋषि तिवारी
नोएडा। थाना दादरी नोएडा पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड व लोन कराने वाले एक गैंग के 2 शातिर बदमाशों को गिरफ्तार उनके कब्जे से 206 कार्ड (डेबिट व क्रेडिट) कई बैंकों के 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चेक बुक, 35 प्लास्टिक के फोल्डर किट, 6 पेटीएम स्वाइप मशीन, 30 मोबाइल एन्ड्राइड व 2 छोटे कीपैड मोबाइल एवं टाटा हैरियर कार बरामद किया है। अभियुक्तों ने अब तक बैंकों से लाखों रुपए की जालसाजी की है। बदमाश सिविल स्कोर बढाकर एवं पे स्लिप के आधार लोन व क्रेडिट कार्ड जारी करा लेते थे।
पुलिस उपायुक्त ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने बताया कि थाना दादरी पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड व लोन कराने वाले गोविन्द सिंह पुत्र हितेन्द्र सिंह तथा विशाल चन्द्र सुमन पुत्र सुमन कुमार सिन्हा को आज थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि अभियुक्तों ने पूछने पर बताया कि उनके पार्टनर अमित कुमार सिंह का बीते दिनों मर्डर हो गया था। हम दोनों के अलावा हमारे अन्य साथी रामानन्द शर्मा उर्फ रमेश झा, सचिन तंवर उर्फ संदीप, अनुज यादव उर्फ करन, हिमांशु, ओमप्रकाश उर्फ शिवम, मृतक अमित कुमार सिंह के साथ मिलकर फर्जी तरीके से लोन कराने का काम करते थे।

हम लोग आधार कार्ड में रेन्ट एग्रीमेन्ट के आधार पर फर्जी तरीके से नाम, पता एवं मोबाइल नंबर बदलवाकर मृतक अमित कुमार सिंह की कम्पनी मैफर्स फैशन की पे स्लिप के आधार पर बैक में खाता खुलवाते थे तथा उसमें 6 से 9 महीने तक सैलरी के नाम पर एक मोटी रकम ट्रान्सफर की जाती थी। जिस व्यक्ति के नाम पर हम लोग लोन कराते थे उसके नाम पर एक नया मोबाइल व सिम भी खरीदते थे जो बैंक में अपडेट कराया जाता था मोबाइल व सिम भी हम लोगों के पास ही रहता था। सिविल स्कोर बढाकर पे स्लिप के आधार पर 40 से 50 लाख का लोन व 2-3 लाख रूपये की लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी कराते थे।

क्रेडिट कार्ड व बैंक खाते में आये लोन के रूपयों का एक्सेस खुद रखते थे। जिस व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड एवं लोन जारी होता था उसे 40 से 50 हजार रुपये व किसी-किसी को 1 लाख रूपये तक भी देते थे तथा शेष राशि का उपयोग स्वयं करते थे। बदमाशों ने पुलिस को बताया है कि लोन या क्रेडिट कार्ड की 2-3 ईएमआई जमा करते थे उसके बाद एडरेस बदल देते थे। दो तीन महीन बाद जब ईएमआई जमा नहीं होती थी तो बैंक वाले जब दिये गये पते पर सम्पर्क करते थे तो एड्रेस फर्जी होने के कारण वहां पर उन्हें कोई नहीं मिलता था और मोबाइल नंबर पर भी सम्पर्क नहीं होता था।

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