
मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज के गांधी स्टडी सर्कल ने ” नवउदारवादी विश्व – व्यवस्था के संकट का गांधीवादी विकल्प ” पर कराया एक दिन का अंतरराष्ट्रीय सेमिनार
नई दिल्ली : आज दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज के गांधी स्टडी सर्कल ने नवउदारवादी विश्व : व्यवस्था के संकट का गांधीवादी विकल्प विषय पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संदीप गर्ग के सम्बोधन से हुई। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि गांधी स्टडी सर्कल के द्वारा ऐसे आयोजन नियमित अंतराल पर होते रहते हैं और ऐसे कार्यक्रम के जरिए छात्रों तक गांधी जी के विचार पहुंच पाते हैं। ऐसे कार्यक्रम से छात्रों को काफी कुछ सीखने को मिलता हैं। ऐसे कार्यक्रम कॉलेज को एक नई दिशा देते हैं ।
कार्यक्रम के पहले सत्र के मुख्य अतिथि राधा बहिन भट्ट मशहूर गांधीवादी विचारक थे । इस सत्र के अतिथियों का सम्मान दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन के निर्देशक प्रोफेसर के.पी.सिंह ने किया । इस सत्र की कॉर्डिनेटर मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ भारती देवी थी ।
कार्यक्रम के पहले सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता स्टेनफोर्ड ग्लोबल स्टडीज, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रोफेसर ऐश्वर्य कुमार ने कहा कि गांधीवाद जहां एक तरफ हम औद्योगिक विकास की सीढ़ियां चढ़ रहे है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण से जुड़ी अनेक चिंताएं सामने आ रही है। प्रोफेसर ऐश्वर्य कुमार ने इसके अलावा गांधीवाद से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें समकालीन समय में गांधीवाद के प्रासंगिकता, वैश्विक परिपेक्ष्य में गांधीवाद का उदय जैसे विषय शमिल थे ।
सत्र को संबोधित करते हुए प्रोफेसर आचार्य नंदकिशोर ने कहा कि गांधीवाद आज के समय में केवल एक ऐतिहासिक विचारधारा नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और वैश्विक समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत करता है।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र टेक्निकल सेशन 1 था । जिसका विषय : गांधी और अहिंसक प्रतिरोध की कार्य प्रणाली था ।
इस सत्र की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह ने किया ।
इस सत्र में वक्ता के रूप में सीनियर पत्रकार अरविंद मोहन, दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर संजीव कुमार और रांची के सेंट जेवियर कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जयंत कश्यप थे ।
दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर संजीव कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी जी अपनी कार्यशैली में लगातार गतिशील रहे । गांधी जी का धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत आज के समय में सबसे महत्वपूर्व हैं । जब हम गांधी जी को देखते है तो पाते हैं कि राजनीति में गांधीजी एक फिलॉस्फर की तरह सामने आते हैं । गांधी जी उपवास की राजनीति में विश्वास रखते हैं और हम देखते है कि वो उसमें कामयाब भी होते हैं ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीनियर पत्रकार अरविंद मोहन कहते है कि आज कल बाबरनामा पढ़ रहा हूं । आज हिंसा का रंग रूप बदला हैं । आज कल दुनिया की दौलत कुछ लोगों के पास ही जा रही हैं । गांधी के दौर को याद करेंगे तो पाएंगे कि उस दौर में उन्होंने एक अद्भुद्य हथियार दिया अहिंसा । ऐसा नहीं हैं कि ये पहले नहीं था लेकिन गांधी ने अहिंसा को एक स्वरूप दिया और उसे ट्रेनिंग खुद भी की और औरों को भी करवाई । सबसे ऊपर सत्य ही हैं । गांधी के लिए भी सत्य ही सबसे ऊपर हैं ।
किसी भी लड़ाई के लिए गांधी ने ये शर्त नहीं लगाया कि वो अहिंसक हो । बेशक आज भगत सिंह या चंद्रशेखर आजाद के बारे में कुछ भी झूठ फैलाया जा रहा हैं पर गांधी व कांग्रेस के साथ इनका बहुत ही प्यार रिश्ता था और इनका भी समय समय पर साथ दिया ।
सेंट जेवियर कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जयंत कश्यप ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी जी ने इस देश को अहिंसा का नायाब तरीका दिया । जिसने आजादी की लड़ाई में अग्रिणी भूमिका निभाई, भारत छोड़ो आंदोलन से ही क्यों अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए ? प्रोफेसर जयंत ने गांधीवाद से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें समकालीन समय में गांधीवाद के प्रासंगिकता, वैश्विक परिपेक्ष्य में गांधीवाद का उदय जैसे विषय शमिल थे।
इस कार्यक्रम के संयोजक मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ अश्वनी कुमार थे ।