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सीडब्ल्यूसी चुनाव नहीं होने के पीछे गांधी परिवार ? फ्री हैंड मिलने पर मल्लिकार्जुन खड़गे बोले, सोनिया गांधी और राहुल से मशविरा लेकर चुनेंगे नाम

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कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन छत्तीसगढ़ के रायपुर में जारी है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के बाद यह अधिवेशन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान कांग्रेस वर्किंग कमेटी चुनाव को लेकर भी चर्चा सामने आ रही थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस मामले में फ्री हैंड दे दिया गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वह जल्द ही इस मामले पर सोनिया गांधी के साथ मशविरा कर अमल करेंगे।

आखिरी वक्त तक बरकरार रहा सस्पेंस

कांग्रे्स पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव होंगे या नहीं, इस सवाल को लेकर आखिरी वक्त तक सस्पेंस बरकरार रहा। इसकी एक वजह यह भी कही जा रही है कि नेतृत्व ने पहले ही सुनिश्चित कर लिया था कि कमेटी के सदस्यों का रायपुर पहुंचने से पहले लॉबी बनाने और गुटबाजी करने की फुर्सत नहीं मिले। १९९७ में जब सीडब्ल्यूसी के चुनाव आखिरी बार हुए थे, वरिष्ठ नेताओं और संभावित उम्मीदवारों ने समर्थन बटोरने में दिन बिताये थे।

दूर रहा गांधी परिवार

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया, राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस मीटिंग से दूर दिखाई दिये। इस मीटिंग में पूरी तरह मल्लिकार्जुन खड़गे दिखाई दे रहे थे। इसके जरिये कांग्रेस ने यह दिखाने भी किया कि कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने के बाद गांधी परिवार का निर्णय लिये जाने की भूमिका में कोई दखल नहीं नहीं है। वर्किंग कमेटी के चुनाव नहीं होने का एक कारण बड़ी गुटबाजी का अंदेशा भी था, जिससे कांग्रेस पार्टी फिलहाल बचना चाह रही थी।

क्यों नहीं कराए गये चुनाव ?

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव नहीं कराए जाने के कई कारणों पर चर्चा की जा रही है। इसे इससे समझते हैं कि उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी सीडब्ल्यूसी के चुनाव का विरोध करने वाले पहले व्यक्ति थे, उन्होंने कहा कि इससे पार्टी कमजोर होगी और आने वाले राज्य और लोकसभा चुनाव से पहले यह अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है। उन्होंने यह भी तर्क कम प्रतिनिधियों वाले छोटे राज्य मतदान के मामले में सीडब्ल्यूसी में प्रतिनिधित्व की उम्मीद नहीं कर सकते। पार्टी महासचिव वेणुगोपाल ने गत कुछ दिनों में कुछ नेताओं से इसी तरह की बात की थी। चुनाव का विरोध करने वालों में टी सुब्बारामी रेड्डी भी थे। सूत्रों ने कहा कि चुनाव के लिए बहस करने वालों में दिग्विजय सिंह और अजय माकन शामिल थे।