चरण सिंह राजपूत
देश में वैसे तो एक से बढ़कर एक युद्ध हुए हैं पर रामायण और महाभारत को विशेष दर्जे पर रखा जाता है। दोनों ही युद्ध में एक से बढ़कर एक योद्धा हुए हैं। रामायण में रावण को दशाशीष कहा जाता था। मौजूदा हालत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी किसी रामायण और महाभारत से कम नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि भले ही देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहा हो पर देश के बड़े राजनीतिक महारथियों ने उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में डेरा डाल रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा मुख्य महारथी भाजपा की ओर से चुनावी समर का नेतृत्व कर रहे हैं। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अखिलेश यादव के लिए चक्रव्यूह की रचना की है। क्या लोगों को जानकारी है कि भाजपा से एक नहीं बल्कि चार अखिलेश टकरा रहे हैं। इनमें दो सपा से हैं तो एक कांग्रेस से और एक निर्दलीय है।
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा की चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत इस नाम के चार ‘योद्धा’ हैं। अखिलेश यादव नाम के दूसरे उम्मीदवार आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से हैं। इसके अलावा अयोध्या जिले की बीकापुर विधानसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार का भी नाम अखिलेश यादव है। संभल के गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी अखिलेश ही हैं। सपा प्रमुख के तीनों हमनामों ने एक एजेंसी को बताया है कि उनके लिए यह नाम होना लाभदायक है। यह हम नाम ही था कि जब 7 फरवरी को समाजवादी पार्टी ने मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार अखिलेश यादव की घोषणा की तो कुछ लोगों को लगा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव दो सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। चूंकि इसके पहले ही सपा प्रमुख के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा हो चुकी थी और आजमगढ़ उनका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है तो लोगों ने अनुमान लगाया कि संभवत: वह दो सीटों से चुनाव लड़ें। लेकिन पार्टी नेताओं ने स्थिति साफ कर दी और बताया कि मुबारकपुर से घोषित सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव 2017 में भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और बसपा के शाह आलम से मात्र 688 मतों से पराजित हुए थे। निर्वाचन क्षेत्र, के लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है, लोग मेरे प्रति सहानुभूति महसूस करते हैं, क्योंकि मैं इस सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव बहुत ही कम अंतर से हार गया था। उन्होंने कहा कि अभी, सभी लोग चाहते हैं कि अखिलेश यादव चुनाव जीते। यहां के लोग कह रहे हैं कि चूंकि अखिलेश यादव (सपा प्रमुख) हैं और वे उप्र का मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, इसलिए मुबारकपुर से विधायक भी अखिलेश यादव को होना चाहिए। मुबारकपुर से सपा प्रत्याशी ने कहा कि उनके पिता ने उनका नाम अखिलेश रखा है क्योंकि उनके तीन भाइयों का नाम “ईश” के साथ समाप्त हुआ – अवधेश यादव, उमेश यादव और अमरेश यादव। अयोध्या जिले के बीकापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश यादव 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। पार्टी में उपेक्षा के कारण उन्होंने सपा को छोड़ा था। उन्होंने एक दिलचस्प घटना को याद करते हुए कहा है, “कुछ दिन पहले जब वह अपने समर्थकों के साथ निर्वाचन क्षेत्र में, प्रचार कर रहे थे तो उनके एक समर्थक ने अखिलेश भैया जिंदाबाद के नारे लगाए तो इसने कुछ आसपास खड़े सपा समर्थकों में उत्साह बढ़ा और वे भी जवाब में नारे लगाने लगे। बाद में, उन्हें एहसास हुआ कि वे वास्तव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में नारे लगा रहे हैं। उनमें कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह लेकर अखिलेश नाम का कौन आ गया और इसके बाद वे लोग सतर्क हो गये।”
इसके अलावा गुन्नौर में निर्दलीय उम्मीदवार लखवेंद्र उर्फ अखिलेश यादव के क्षेत्र में मतदान हो चुका है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका जन्म के बाद नाम लखवेंद्र सिंह रखा गया लेकिन उनकी दादी उन्हें अखिलेश कहकर पुकारा करती थीं और धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उन्हें अखिलेश कहने लगे। लखवेंद्र ने बताया, “मेरे चाचा ने मेरा नाम लखवेंद्र सिंह रखा था लेकिन मेरी दादी और मेरी मां ने मुझे अखिलेश कहना शुरू कर दिया।” लखवेंद्र के पिता राम खिलाड़ी सिंह गुन्नौर से सपा के उम्मीदवार हैं और लखवेंद्र को ‘डमी’ उम्मीदवार के तौर पर यहां नामांकन कराया गया। उन्होंने कहा कि उनके लिए अखिलेश यादव सब कुछ हैं और समाजवाद उनके खून में है। दस मार्च को जब परिणाम आएगा तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितने अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचते हैं।