Firozabad news : पौष्टिक आहार के साथ भावनात्मक व सामाजिक सहयोग जरूरी : सीएमओ

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382 निक्षय मित्रों ने अब तक 2597 टीबी मरीजों को लिया गोद, एक हज़ार टीबी मरीजों को अपने निक्षय मित्र का है इंतजार, सामाजिक संस्थाओं, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से क्षय रोगियों को पोषाहार के साथ मिल रहा भावनात्मक सहयोग

फिरोजाबाद । निक्षय मित्र टीबी ग्रसित मरीजों का हाथ थामकर वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लक्ष्य प्राप्ति में विभाग का सहयोग कर रहे हैं| टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए समाज में टीबी रोगियों के प्रति बदलती सोच व जागरूकता एवं पोषाहार के साथ भावनात्मक सहयोग भी बहुत जरूरी है, यह कहना है सीएमओ डॉ. डीके प्रेमी का। उन्होंने कहा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।
डीटीओ डॉ. बृजमोहन ने कहा कि पहले के समय में टीबी ग्रसित बच्चों को ही गोद लिया जाता था, लेकिन अब वयस्क मरीजों को भी गोद लिया जा रहा है| जनवरी 2022 से अब तक टीबी कुल 3597 मरीज चिन्हित हुए जिसमें 2597 क्षय रोगियों को गोद लिया जा चुका है। अभी भी एक हज़ार टीबी मरीजों को अपने निक्षय मित्र का इंताजर है| जनपद में वर्तमान में382 निक्षय मित्रों ने टीबी मरीजों को गोद लेकर कर टीबी मुक्त भारत अभियान में अपनी भूमिका निभाई है।
मरीजों को गोद लेने वालों में विभिन्न संस्थाएं, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि शामिल हैं, इनके अलावा स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी 134 मरीजों को गोद लेकर उनके पोषाहार की भी व्यवस्था की है।
जिला प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर आस्था तोमर का कहना है कि वर्तमान में स्थितियां काफी बदल गई हैं। पहले टीबी ग्रसित वयस्कों को गोद नहीं लिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। संस्थाएं तथा अन्य लोग टीबी ग्रसित बच्चे तथा वयस्कों को गोद लेकर उनको पोषाहार के साथ सामाजिक और भावनात्मक सहयोग प्रदान कर रहे हैं जिससे रोगी शीघ्र स्वस्थ होते हैं और आम जिंदगी जी रहे हैं।
कार्यक्रम के डीपीपीसीएम मनीष का कहना है कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने में स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा विभिन्न संस्थाएं, जनप्रतिनिधि निक्षय मित्र बनकर आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों के प्रति उन सभी का सहयोग एक नई चेतना पैदा करता है जिससे रोगियों में निराशा के भाव नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि दवा के साथ-साथ भरपूर पौष्टिक आहार बहुत आवश्यक है।
लाभार्थी प्रियंका (23) निवासी गांव सरगवा तथा आयशा (28) निवासी हसमत नगर का कहना है कि पहले टीबी बीमारी को गंभीर माना जाता था। समाज में टीबी रोगी को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते थे, अब ऐसा नहीं है। हमको पोषाहार के साथ-साथ सामाजिक व भावनात्मक सहयोग मिल रहा है। हमारी की जांच व उपचार जारी है और हम स्वस्थ हैं। डॉक्टरों के परामर्श के अनुसार पौष्टिक आहार और दवा का सेवन कर रहे हैं।

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