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किसानों की लखनऊ में 22 नवंबर को किसान महापंचायत, 26 को दिल्ली की सीमाओं पर किसान विरोध की पहली बरसी और 29 नवंबर से संसद मार्च की तैयारी जोरों पर 

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नई दिल्ली। 22 नवंबर 2021 को लखनऊ में आयोजित होने वाली किसान महापंचायत की तैयारी जोरों से चल रही है। महापंचायत को सफल बनाने के लिए और यूपी राज्य और केंद्र भाजपा सरकारों को एक मजबूत संदेश देने के लिए, उत्तर प्रदेश के विभिन्न किसान संगठन अपने कार्यकर्ताओं को लामबंद कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ के लिए भी लामबंदी चल रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिल्ली के पास सभी मोर्चा स्थलों पर बड़ी सभाएँ हों। दूर के विभिन्न राज्यों में भी 26 नवंबर को बड़े विरोध प्रदर्शनों की योजनाएँ बनाई जा रही है। 14 नवंबर को यूपी के पीलीभीत जिले के पूरनपुर में एसकेएम के घटकों द्वारा “लखीमपुर न्याय महापंचायत” नामक एक बड़ी किसान सभा की योजना बनाई जा रही है। इस महापंचायत में कई एसकेएम नेताओं के अलावा हजारों किसानों के भाग लेने की उम्मीद है। इस बीच, 11 से 13 नवंबर के बीच निर्धारित खजूरिया से निघासन तक की एक पदयात्रा को प्रशासन द्वारा रोक दिया गया है। यह पदयात्रा केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की मांग करने और भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का जवाब देने के लिए है। यह पदयात्रा 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत की तैयारी के लिए भी है। पदयात्रा को रोकने के लिए किसान नेताओं को पल्लिया में नजरबंद कर दिया गया और डीएम व एसपी ने नेताओं को यात्रा न निकालने का निर्देश दिया। एसकेएम यूपी सरकार के इस अलोकतांत्रिक व्यवहार की कड़ी निंदा करता है।
हरियाणा के हांसी में अनिश्चितकालीन धरना जारी है और आज लघु सचिवालय के बाहर धरने का चौथा दिन है। यहां के किसान मांग कर रहे हैं कि भाजपा सांसद राम चंदर जांगड़ा के खिलाफ काले झंडे के विरोध में 3 किसानों के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिया जाए, और उन पर लाठीचार्ज और किसानों को घायल करने के लिए मामला दर्ज किया जाए। भाजपा सांसद, उनकी पार्टी के कई अन्य नेताओं की तरह, प्रदर्शनकारी किसानों के बारे में पूरी तरह से अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी करते देखे गए थे। इस बीच घटना में गंभीर रूप से घायल किसान कुलदीप राणा की हालत गंभीर बताई जा रही है। उनके परिवार को कल हरियाणा के एक निर्दलीय विधायक से दस हजार रुपये मासिक समर्थन और दो लाख रुपये नकद सहायता का वादा मिला। हरियाणा पुलिस झूठ बोल रही है कि उनके लाठीचार्ज में कुलदीप राणा घायल नहीं हुए। इसी बीच हांसी में एक अन्य प्रदर्शनकारी, खीरी चौपटा गांव के शेखर चंद, भी कल एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें भी हिसार के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हरियाणा सरकार ने कथित तौर पर राज्य में किसानों के विरोध की पृष्ठभूमि में, कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को भी व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) प्रदान करने का निर्णय लिया है। हालांकि, यह फैसला इस बात की अनदेखी करता है कि कुलदीप राणा के मामले में भाजपा सांसद के पीएसओ ने ही प्रदर्शनकारी पर गंभीर हमला किया था। जिस राज्य में मुख्यमंत्री खुद को विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसा भड़काते हुए सुना गया और जहां एक वरिष्ठ अधिकारी पुलिस से विरोध कर रहे किसानों के सिर तोड़ने के लिए कह रहा था, वहां पीएसओ के लिए यह फैसला शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर सीधा हमला है। एसकेएम ने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार से विरोध कर रहे किसानों पर अपने हमले बंद करने और उनके खिलाफ मामले वापस लेने की मांग की है।
विभिन्न स्थानों से धान खरीद संबंधी समस्याएं व अनियमितताएं सामने आ रही हैं, और एमएसपी पर सरकारी खरीद न होने से किसानों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। यह सिर्फ किसान ही नहीं हैं जो उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड जैसे विभिन्न राज्यों में विरोध कर रहे हैं, बल्कि राज्य सरकारें भी। तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी टीआरएस पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू कर रही है और मांग कर रही है कि केंद्रीय एजेंसियां राज्य में किसानों से धान की खरीद करे। केंद्र की भाजपा सरकार की ओर से प्रतिक्रिया नहीं मिलने से निराश होकर सिंघू बॉर्डर पर गुरप्रीत सिंह (45) नाम के एक किसान ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। वह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के रुड़की गांव के रहने वाले थे। वे शुरू से ही आंदोलन के नियमित भागीदार रहे हैं। एसकेएम गुरप्रीत सिंह के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है और शहीद को विनम्र श्रद्धांजलि देता है। दिल्ली की सीमाओं पर लगभग बारह महीनों के विरोध प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों द्वारा यह नौवीं आत्महत्या है। एसकेएम सभी बहादुर प्रदर्शनकारियों से अपील करता है कि वे ऐसे कदम के बारे में किसी भी हालात में न सोचें। एसकेएम ने कहा कि आंदोलन मजबूत और व्यापक हो रहा है, और इसने बार-बार भाजपा सरकारों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर किया है और आंदोलन अपनी सभी मांगों को पूरा करके समाप्त ही होगा।
एसकेएम पंजाब के फिरोजपुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर शिअद नेताओं और कार्यकर्ताओं के लखीमपुर-खीरी जैसे हमले की एक बार फिर निंदा करता है। किसानों पर गोली चलाने और उनके ऊपर वाहन चढ़ाने की कोशिश करने वाले शिअद नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर आज फिरोजपुर में चक्का जाम आयोजित किया गया है। इस प्रेस नोट को जारी करते समय शिअद नेता वरदेव सिंह नोनी मान और उनके ड्राइवर के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। हालांकि शिअद के एक अन्य नेता और पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह जिंदू का नाम प्राथमिकी में मुख्य आरोपी के तौर पर नहीं है और किसान मांग कर रहे हैं कि प्राथमिकी में यह तत्काल सुधार किया जाए। किसान संगठन इन आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनसे किसानों पर गोली चलाने के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार बरामद करने की मांग कर रहे हैं।