हर चीज भगवा, कपिल सिब्बल बोले-कोर्ट को ऐसे रंग में रंगा नहीं देखना चाहता, एक्सपर्ट ने भी मिलाया सुर में सुर

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सिब्बल का कहना था कि नहीं मानते कि कोलेजियम सिस्टम फूल प्रुफ है। कई सारी कमियां हैं लेकिन सरकार के दखल के बाद तो सारा सिस्टम ही बैठ जाएगा। जाने माने वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल मानते हैं कि मौजूदा दौर में सारा सिस्टम भगवा रंग में रंग चुका है। वो नहीं चाहते कि अदालतों का रंग भी ऐसा ही दिखे। सिब्बल ने यह बात कालेजियम सिस्टम को लेकर कही। उनका कहना था कि सरकार न्यायपालिका पर कब्जा करना चाहती है। उधर पूर्व जज अरविंद पी दतार ने भी कुछ ऐसी ही बातें कहीं।

सरकार न्यायपालिका में अपने लोगों को बैठाना चाहती है

सिब्बल न कहा कि आज बात चाहे इनकम टैक्स की हो या फिर ईडी और सीबीआई की। यूनिवर्सिटी की बात हो या फिर दूसरे सरकारी तंत्रों की। सभी पर सरकार ने अपने सारे सिस्टम को भगवा रंग में रंग दिया है। अब वह न्यायपालिका को भी अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स में भी उनके ही लोग बैठे दिखें।
सिब्बल का कहना था कि वो नहीं मानते कि कॉलेजियम सिस्टम फूल प्रूफ है। कई सारी कमियां हैं। लेकिन सरकार के दखल के बाद तो सारा सिस्टम ही बैठ जाएगा। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हाईकार्ट्स के जजों को प्रमोशन के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर देखना पड़ता है। वह पूरी तरह से से उन पर निर्भर रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि ऊपर कोई नाराज हो गया तो प्रमोशन खटाई में पड़ जाएगा। ये गलत परंपरा है लेकिन वह मानते हैं कि ये उस सिस्टम से ठीक है जो सरकार के नियंत्रण में जाने पर दिखेगा।
संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ और सीनियर वकील अरविंद पी दतार ने भी सिब्बल की तरह से बात कही। उनका कहना था कि जजों की नियुक्ति के लिए कॉलजियम सिस्टम की बेहतरीन है। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि ये गलत कहना है कि जज की जजोें को नियुक्त करते हैं। कॉलेजियम के जरिये सारे नाम सरकार के पास जाते हंै। जो उसे अच्छे नहीं लगते वो उन्हें भी भेजती है। आखिर में भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कॉलेजियम की सिफारिशें सिरे चढ़ती है। जजों के चयन में पक्षपात पर उनका कहना था कि जो योग्य होता है उसका नाम ही नियुक्ति के लिए भेजा जाता है। कॉलेजियम बेस्ट पॉसिबिल आप्शंस में से ही जजों का चयन करता है। उनका कहना था कि कॉलेजियम सिस्टम और ज्यादा बेहतर काम कर सकता है अगर इसकी सिफारिशों के लागू करने को लेकर एक समय सीमा तय कर दी जाए।

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